काहे कोयल शोर मचाये रे- आग १९४८
संगीत प्रेमियों के हिसाब से इस गाने में कोई भी नामचीन
हस्ती नहीं जुड़ी हुई है सिवा गायिका के। राम गांगुली अपने
समय के अच्छे संगीतकार थे जिन्होंने चुनिन्दा फिल्मों में
संगीत दिया है। बेहज़ाद लखनवी के लिखे गीत को गाया है
शमशाद बेगम ने। अपने ज़माने का एक प्रसिद्ध गीत रहा है ये।
कोयल को अपनी मधुर वाणी के लिए जाना जाता है। इधर वो
शोर क्यूँ मचा रही है गाना सुनकर पता कीजिये।
गाने के बोल:
काहे कोयल शोर मचाये रे
काहे कोयल शोर मचाये रे
मोहे अपना कोई याद आए रे
कह दो कह दो कोयल से न गाये रे
हो मोहे अपना कोई याद आए रे
उसने काहे को नैन फिराए रे,
ओ, कोई जाके उसे समझाये रे
मेरे दिल से जो निकले हाय रे
कोई दोष मेरा बतलाये रे
कोई दोष मेरा बतलाये रे
मोरे नैनों में नीर भर आए रे
मोहे बीते वोह दिन याद आए रे
मोरे नैनों में नीर भर आए रे
मोहे बीते वोह दिन याद आए रे
हाय आग लगी ह्रदय में हो,
कोई ह्रदय की आग भुझाये रे
मेरा जीवन पल पल जाए रे
रहूँ कब तक आस लगाए रे
मेरा जीवन पल पल जाए रे
रहूँ कब तक आस लगाए रे
कोई जाके उसे समझाये रे
ओ, मेरी मौत से पहले आए रे
0 comments:
Post a Comment