खुदा भी आसमान से -धरती १९७०
मोहम्मद रफी को यूँ ही रोमांटिक गीतों का राजा नहीं कहा जाता था।
अगर वो गीत हसरत जयपुरी का लिखा हुआ तो क्या कहने।
फ़िल्म धरती का है ये गीत । नायक राजेंद्र कुमार अपनी नायिका
वहीदा रहमान को रिझाने के लिए ये गाना गा रहे हैं। उम्र के ढलान
पर पहुंचे राजेंद्र कुमार और वहीदा को रोमांटिक भूमिकाएं करते देखना
थोड़ा अजीब लगा कुछ दर्शकों को। इतना तय है की जैसे ही इस गाने के
पहले अंतरे को सुनते हैं , सब सामान्य सा लगने लगता है और राजेंद्र कुमार
वही ६० के रोमांटिक राजेंद्र नज़र आते हैं। अब आपको ये भी बता दूँ कि
ये गीत राजेंद्र कृष्ण ने लिखा है जिन्होंने शंकर जयकिशन के लिए बहुत
कम गीत लिखे ।
गाने के बोल:
खुदा भी आसमाँ से जब ज़मीं पर देखता होगा
मेरे महबूब को किसने बनाया सोचता होगा
खुदा भी आसमाँ से ...
मुसव्विर खुद परेशान है कि ये तस्वीर किसकी है
बनोगी जिसकी तुम ऐसी हसीं तक़दीर किसकी है
कभी वो जल रहा होगा, कभी खुश हो रहा होगा
खुदा भी आसमाँ से ...
ज़माने भर की मस्ती को निगाहों में समेटा है
कली से जिस्म को कितनी बहारों ने लपेटा है
हुआ तुमसा कोई पहले न कोई दूसरा होगा
खुदा भी आसमाँ से ...
फ़रिश्ते भी यहाँ रातों को आकर घूमते होंगे
जहाँ रखती हो तुम पाँव, जगह वो चूमते होंगे
किसी के दिल पे क्या गुज़री, ये वो ही जानता होगा
खुदा भी आसमाँ से जब ज़मीं पर देखता होगा
मेरे महबूब को किसने बनाया सोचता होगा
खुदा भी आसमाँ से ...
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