किसी नज़र को तेरा इंतज़ार-ऐतबार
बप्पी लाहिड़ी पर संगीत प्रेमी समय समय पर गानों की गुणवत्ता गिराने
का आरोप लगाते रहे हैं। गानों की गुणवत्ता का सम्बन्ध गाने के बोल और
फ़िल्म के डाईरेक्टर की इच्छा पर निर्भर होता है। बिना मांग के किसी
संगीत की कोई कीमत नहीं। स्वाभाविक तौर पर फ़िल्म संगीत के पतन
का सिलसिला ७० के दशक में शुरू हुआ। आग में घी का काम दक्षिण
के आए निर्माताओं ने किया जो ८० के दशक में देखने को मिला। ये बात
और है कि जब बप्पी की गाड़ी अच्छे संगीत से नहीं चली तो उन्होंने भी
परिस्थिति से समझौता करते हुए चालू किस्म की फिल्मों में संगीत दिया
और वो एकदम से प्रसिद्धि की सीढ़ी चढ़ते चले गए।
बप्पी ने बहुत मधुर संगीत की रचना भी की है। उनके कर्णप्रिय गीतों
में से एक है- फ़िल्म ऐतबार का -किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है
जो आशा और भूपेंद्र ने गाया है। गाने के बोल हसन कमाल ने लिखे हैं।
गाने के बोल:
किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है
कहाँ हो तुम के ये दिल बेकरार आज भी है
वो वादियाँ, वो फ़जाएं के हम मिले थे जहाँ
मेरी वफ़ा का वहीँ पर मजार आज भी है
हो ओ ...किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है
न जाने देख के क्यूँ उनको, ये हुआ अहसास
के मेरे दिल पे उन्हें इख्तियार आज भी है
हो ओ ...किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है
वो प्यार जिसके लिए हमने छोड़ दी दुनिया
वफ़ा की राह में घायल वो प्यार आज भी है
वो प्यार जिसके लिए हमने छोड़ दी दुनिया
यकीन नहीं है मगर आज भी ये लगता है
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी है
हो ओ ...किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है
न पूछ कितने मोहब्बत के ज़ख्म खाए हैं
के जिनको सोच के दिल सोग़वार आज भी है
वो प्यार जिसके लिए हमने छोड़ दी दुनिया
वफ़ा की राह में घायल वो प्यार आज भी है
हो ओ ...किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है
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