Dec 3, 2009

सुनो बुजुर्गों का है कहना-मीना बाज़ार १९५०

आपसे वादा है श्वेत श्याम के युग के भूले बिसरे गीत
सुनाने का( आखिर ब्लॉग की टी आर पी) भी तो बढ़ानी है)।
आइये इस कड़ी में अगला गीत सुनिए राम कमलानी
का गाया हुआ फ़िल्म मीना बाज़ार के लिए। फ़िल्म
सन १९५० में आई थी। इसका संगीत तैयार किया है
हुस्नलाल-भगतराम ने। गीत के बोल लिखे हैं कमर जलालाबादी
ने। गीत में युवकों को सिंगल रहने की नसीहत दी गई है।
आनंद उठाइए एक हास्य से भरपूर गीत का। गीत हास्य कलाकार
गोपे पर फिल्माया गया है। इसका विडियो उपलब्ध नहीं है.
ये एक ऑडियो क्लिप है।



गीत के बोल:

कोई समझे इसे नसीहत
कोई समझे गाना
एक टिकट में दो हैं तमाशे
देखे आज ज़माना

हाँ,

सुनो बुजुर्गों का है कहना
सुनो बुजुर्गों का है कहना
बेटा, बेटा सिंगल सिंगल रहना
सुनो बुजुर्गों का है कहना
सुनो बुजुर्गों का है कहना
बेटा, बेटा सिंगल सिंगल रहना

सुनो बुजुर्गों का है कहना

शादी करके हुआ ये हाल
लावो जा कर चने की दाल
तिरछे नैनों वाली ने मांगे रेशम का रुमाल
लाओ कपड़ा लाओ गहना
नखरे देख के आया याद

हमें बुजुर्गों का कहना
हमें बुजुर्गों का कहना
बेटा, बेटा सिंगल सिंगल रहना
सुनो बुजुर्गों का है कहना

पूछो क्या है मेरा नाम
मेमसाब का गुलाम
मेमसाब का गुलाम
पूछो क्या है मेरा काम
उनके नौकर को सलाम
उनके नौकर को सलाम
पूछो मेरा प्रोग्राम
गाली खाना सुबह शाम
गाली खाना सुबह शाम

भक्त गोप का यही है कहना
भक्त गोप का यही है कहना
बेटा, बेटा सिंगल सिंगल रहना
सुनो बुजुर्गों का है कहना
सुनो बुजुर्गों का है कहना
बेटा, बेटा सिंगल सिंगल रहना
सुनो बुजुर्गों का है कहना
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Suno bujurgon ka hai kehna-Meena Bazaar 1950

Artist: Gope

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