पनघट को चली पनिहारी -पनघट १९४३
संगीतकार एस. एन. त्रिपाठी की बतौर स्वतंत्र संगीतकार पहली
फिल्म थी चन्दन(१९४१)। सन ४३ में आई फिल्म पनघट ने उन्हें
प्रसिद्धि दिलाई और फिल्म संगीत क्षेत्र में पैर ज़माने का मौका दिया।
ये फिल्म विजय भट्ट द्वारा प्रोड्यूस की गई थी । ये वही विजय भट्ट
हैं जिन्होंने गूँज उठी शहनाई का निर्देशन किया है। विजय भट्ट ने
जितना भी योगदान दिया फिल्म जगत को, वो उच्च कोटि का एवं
प्रशंसनीय है। विजय भट्ट की तरह ही एस. एन. त्रिपाठी को धार्मिक,
पौराणिक एवं ऐतिहासिक विषयों में काफी दिलचस्पी रही।
एस एन त्रिपाठी पर चर्चा हम आगे करते रहेंगे, पढ़ते रहिये
ये ब्लॉग।
गीत के बोल:
पनघट को चली पनिहारी
पनघट को चली पनिहारी
पनिहारी रे
पनघट को चली पनिहारी
पनिहारी रे
कमर पर घड़ा धरे मतवारी
कमर पर घड़ा धरे मतवारी
मतवारी रे
कमर पर घड़ा धरे मतवारी
पनिहारी रे
पनिहारी लचक ना जाना
पनिहारी ओ पनिहारी
पनिहारी लचक ना जाना
घड़ा है तेरा भरी रे
पनिहारी रे
घड़ा है तेरा भरी रे
पनिहारी रे
पनघट को चली पनिहारी
पनघट को चली पनिहारी
पनिहारी रे
जिस पनघट लहराए है
सवान बारह है मॉस
उस पनघट प्यासी कड़ी
पिया मिलन की आस
क्यूँ पहना गुलाबी दुपट्टा
क्यूँ पहना गुलाबी दुपट्टा
अभी तो कुंवारी रे
पनिहारी रे
क्यूँ पहना गुलाबी दुपट्टा
अभी तो कुंवारी रे
पनिहारी रे
पनघट को चली पनिहारी
पनघट को चली पनिहारी
पनिहारी रे
मैं हूँ छोटी सी
मैं हूँ छोटी सी
छोटी गगरिया
मैं हूँ छोटी सी
मैं हूँ छोटी सी
छोटी गगरिया
खोजूं पीछू बाबुल की नगरिया
खोजूं पीछू बाबुल की नगरिया
मोहे पनघट मैं पनघट की प्यारी रे
मोहे पनघट मैं पनघट की प्यारी रे
पनिहारी रे
पनघट को चली पनिहारी
पनघट को चली पनिहारी
पनिहारी रे
धीरे खींचो बदन में हौले
धीरे खींचो
धीरे खींचो बदन में हौले
घबरावे है नाज़ुक जवानी
घबरावे है नाज़ुक जवानी
देख ढूंढें ननदिया किनारी
देख ढूंढें ननदिया किनारी रे
पनिहारी रे
पनघट को चली पनिहारी
पनघट को चली पनिहारी
पनिहारी रे
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Panghat ko chali panihari-Panghat 1943
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