Dec 1, 2010

एक पल रुक जाना-ढोलक १९५१

आइये एक नटखट गीत सुना जाए जो सन ५१ की फिल्म ढोलक
से है। अजीत और मीना शोरे परदे पर नोकझोंक करते दिखाई दे
रहे हैं। अभिनेता अजीत ने अपना फ़िल्मी सफ़र बतौर नायक
शुरू किया था लेकिन उनको प्रसिद्धि खलनायकी से ज्यादा प्राप्त
हुई। नायक वाला उनका दौर श्वेत श्याम फिल्मों में ही ख़त्म हो
गया था। ५७ की फिल्म नया दौर में आपने उन्हें सहायक
अभिनेता के रूप में देखा। इस गीत की एक पंक्ति आपको
फिल्म नया दौर के एक गीत की याद अवश्य दिलाएगी। वो
गीत है रफ़ी और आशा का गाया युगल गीत।




गीत के बोल:

एक पल रुक जाना सरकार
ना मारो दो नैनों की मार
के एक पल रुक जाना

एक पल हट जाना सरकार
झूठे तुम हो तुम्हारा प्यार
के एक पल हट जाना

कित चले हमें तड़पा के
एक रंग नया दिखला के
कित चले हमें तड़पा के
एक रंग नया दिखला के

के एक पल रुक जाना सरकार
ना मारो दो नैनों की मार
के एक पल रुक जाना

एक पल हट जाना सरकार
झूठे तुम हो तुम्हारा प्यार
के एक पल हट जाना

हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ, ओ ओ ओ
अब और सहारा ढूँढें
चल कर नया दियारा ढूँढें
अब और सहारा ढूँढें
चल कर नया दियारा ढूँढें
के अब तो हो गए हैं बेकार
मांगें चल के कहीं उधार
के एक पल हट जाना

के एक पल रुक जाना सरकार
ना मारो दो नैनों की मार
के एक पल रुक जाना

ये दिल फटने की बाते
हम से दूर हटने की बातें
ये दिल फटने की बाते
हम से दूर हटने की बातें

के इक पल रुक जाना सरकार
न मारो दो नैनों की मार
के इक पल रुक जाना

इक पल हट जाना सरकार
झूठे तुम हो तुम्हारा प्यार
कि इक पल हट जाना

हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ, ओ ओ ओ
दिल फट गया है तो सी लो
चाहे मर जाओ या जी लो
दिल फट गया है तो सी लो
चाहे मर जाओ या जी लो
के इक पल हट जाना सरकार
झूठे तुम हो तुम्हारा प्यार
के इक पल हट जाना

के इक पल रुक जाना सरकार
झूठे तुम हो तुम्हारा प्यार
के इक पल रुक जाना

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