तेरे बिना ओ मेरे सनम-लक्ष्य १९९४
लक्ष्य नाम से दो फ़िल्में याद हैं। एक तो ये है जिसका गीत आपको
सुनवा रहे हैं आज। दूसरी अभी ६-७ साल पहले आई थी। कुमार सानू
और कविता कृष्णमूर्ति का गाया ये मधुर गीत शायद आपको सुनने
को ना मिला हो। युग बदलने के साथ माधुर्य कहीं गोल ना हो गया हो,
ऐसी शंकाओं को झुठलाता ये गीत यही साबित करता है कि कभी भी
पूरे कुवें में भांग पढ़ी नहीं मिलेगी आपको, थोड़ी कसर बाकी रह ही जाती
है। गीत लिखा है मजरूह सुल्तानपुरी ने । फिल्म में रोनित रॉय और
प्रियंका प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
गीत के बोल:
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
ये दिल जान-ए-जाना
माने नहीं दीवाना, तेरी कसम
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
ये दिल जान-ए-जाना
माने नहीं दीवाना, तेरी कसम
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
आ जा मैं कब से आँखें लगाये
राहों में बैठी पलकें बिछाए
ऐसा ना होगा कि जो तू पुकारे
और हम ना आयें चाहत के मारे
आये हो जान-ए-जाना तो आ के नहीं जाना
मेरी कसम
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
हो ओ ओ ओ ओ ओ
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
अब तो लगी को तू ही बुझाये
लग जा गले से तो चैन आये
ऐसी सिमट जाऊं बाँहों में तेरी
घुल जाएँ साँसें साँसों में तेरी
ज़माने से छुपा लूं मैं दिल में बसा लूं
तुझको सनम
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
ये दिल जान-ए-जाना
माने नहीं दीवाना, तेरी कसम
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
तेरे बिना ओ मेरे सनम
रह ना सकेंगे हम
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Tere bina o mere sanam-Laqshya 1994
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