ये शाम मस्तानी-कटी पतंग १९७०
गया है और इतनी दफे इसका जगह जगह उल्लेख हुआ है कि अब ज्यादा
लिखने की गुंजाईश नहीं बची है सिवाए इसके गीतकार और संगीतकार
के नाम के. आनंद बक्षी ने लिखा और आर. डी. बर्मन ने इसका संगीत
तैयार किया है. फिल्म का नाम आपको मालूम ही है-गुलशन नंदा के
उपन्यास पर आधारित फिल्म कटी पतंग.
राहुल देव बर्मन के संगीत भक्तों ने रिसर्च के बारे में सारे रिकोर्ड तोड़
दिए हैं. ये उनके संगीत प्रेम और भक्ति का मिश्रण है. इस गीत के बारे
में ही कई पंचम भक्त जानते हैं कि इसमें कौन सा वाद्य किसने बजाया था.
गीत के बोल:
ये शाम मस्तानी,
मदहोश किए जाए,
मुझे डोर कोई खींचे,
तेरी ओर लिए जाए
दूर रहती है तू,
मेरे पास आती नहीं,
होठों पे तेरे
कभी प्यास आती नहीं,
ऐसा लगे जैसे कि तू,
हँस के जहर कोई पिए जाये
ये शाम मस्तानी,
मदहोश किए जाए,
मुझे डोर कोई खींचे,
तेरी ओर लिए जाए
बात जब मैं करूँ,
मुझे रोक देती है क्यों,
तेरी मीठी नजर
मुझे टोक देती है क्यों
तेरी हया, तेरी शरम,
तेरी कसम मेरे होंठ सिये जाए
ये शाम मस्तानी,
मदहोश किए जाए,
मुझे डोर कोई खींचे,
तेरी ओर लिए जाए
एक रूठी हुई
तकदीर जैसे कोई,
खामोश ऐसे है तू
तसवीर जैसे कोई
तेरी नजर बन के जुबां,
लेकिन तेरे पैगाम दिए जाए
ये शाम मस्तानी,
मदहोश किए जाए,
मुझे डोर कोई खींचे,
तेरी ओर लिए जाए
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Ye shaam mastani-Kati Patang 1970
Artists: Rajesh Khanna, Asha Parekh
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