देखो वो चाँद सो गया- ज़रीना १९५?
हैं । आज सुनिए एक ऐसी फिल्म का गीत जो सिनेमा हाल तक नहीं
पहुंची। हिंदी फिल्म जगत में ऐसी कई फ़िल्में हैं जो अधूरी बनीं या फिर
बन के रिलीज़ नहीं हुयीं। एक ऐसी ही फिल्म है ज़रीना जो शायद १९५०
के बाद प्रारंभ हुयी ।
एक संगीतकार हुए निसार बज़्मी जिनका नाम पुराने गीतों के प्रेमियों
ने ज़रूर सुना होगा। इनके संगीत निर्देशन में जो गीत आपने सुने भी होंगे
तो शायद आशा भोंसले, मोहम्मद रफ़ी या शमशाद बेगम की आवाज़ में
ही सुने होंगे। बज़्मी ४० के दशक के उत्तरार्ध से लेकर ८० के दशक तक
सक्रिय रहे। ये बात और है कि वे बंटवारे के बाद पाकिस्तान पहुँच गये
और वहां के नामचीन संगीतकारों में उनकी गिनती होने लगी।
गीत के बोल:
देखो वो चाँद खो गया है इंतजार में
ओ सनम आना दिल में समा जाना
ओ सनम आना दिल में समा जाना
दिल कि लगी तुम्हें तड़पाएगी ये तुमने ना आ आ
दिल कि नज़र कहीं रह जाएगी ये तुमने ना आ आ
झूठे बहाने लिए आ आ आ आ
ज़माना आ आ आ आ
देखो वो चाँद खो गया है इंतजार में
ओ सनम आना दिल में समा जाना
ओ सनम आना दिल में समा जाना
तुझपे नज़र किसी दिल खो गया तू क्या जाने
बैठे बिठाये तुझे क्या हो गया तू क्या जाने
दिल में मोहब्बत भरा साया आ आ आ आ आ
ज़रा सा
देखो वो चाँद खो गया है इंतजार में
ओ सनम आना दिल में समा जाना
ओ सनम आना दिल में समा जाना
रुख पे अगर कहीं देखो मेरी आ जायेंगे
बादल ख़ुशी के वहीँ मस्ती भरे छा जायेंगे
धडक सितारों का दिल खोया आ आ आ आ आ
ज़माना
देखो वो चाँद खो गया है इंतजार में
ओ सनम आना दिल में समा जाना
ओ सनम आना दिल में समा जाना
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Dekho wo chand so gaya-Zarina 195?
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