Aug 26, 2011

कहाँ ले चले हो बता दो मुसाफिर -दुर्गेश नंदिनी १९५६

जैसी कि हम चर्चा करते रहे हैं अब तक, हेमंत कुमार
ने बतौर संगीतकार भी बहुत कामयाबी हासिल की और
उनके संगीत निर्देशन से कई अविस्मरणीय और अमर
रचनाएँ हिंदी फिल्म संगीत जगत को मिलीं. अधिकतर
दूसरे संगीतकारों की भांति उन्होंने भी लता मंगेशकर के
लिए कुछ विशेष और अलौकिक सी धुनें बनाईं.

प्रस्तुत गीत भी ऐसा ही एक गीत है फिल्म ‘दुर्गेश नंदिनी’
से जो कि नाम से ही स्पष्ट है कि एक पौराणिक फिल्म है.
फिल्म में प्रदीप कुमार और बीना राय प्रमुख कलाकार हैं.
यह गीत एक स्वप्न की तरह सा फिल्माया गया है. गीत
लिखा है राजेंद्र कृष्ण ने. गीत का प्रभाव आज इस युग में
भी महसूस किया जा सकता है. इसकी एक झलक भी कोई
एक बार सुने तो पूरा सुने बिना नहीं रह सकता. गीत का
शुरूआती कोरस गान केवल फिल्म वाले वर्जन में ही उपलब्ध
है.



गीत के बोल:

आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ

कहाँ ले चले हो बता दो मुसाफिर
सितारों से आगे ये कैसा जहाँ है

कहाँ ले चले हो बता दो मुसाफिर
सितारों से आगे ये कैसा जहाँ है
ख्यालों की मंजिल ये ख्वाबों की महफ़िल
समझ में न आये ये दुनिया कहाँ है

कहाँ रह गए काफिले बादलों के
कहाँ रह गए काफिले बादलों के
ज़मीन छुप गयी है तले बादलों के
है मुझको यकीन के है जन्नत यहीं
अजब सी फिजां है अजब ये समां है
कहाँ ले चले हो बता दो मुसाफिर
सितारों से आगे ये कैसा जहाँ है

नज़र की दुआ का जवाब आ रहा है
नज़र की दुआ का जवाब आ रहा है
मेरी आरजू पे शबाब आ रहा है
ये खामोशियाँ भी हैं एक दास्तान
कोई कहता है मुझसे मोहब्बत जवान है

कहाँ ले चले हो बता दो मुसाफिर
सितारों से आगे ये कैसा जहाँ है

मोहब्बत भरी इस जहाँ की हैं राहें
मोहब्बत भरी इस जहाँ की हैं राहें
जिन्हें देख कर खो गयी है निगाहें
ये हलकी हवा लायी कैसा नशा
ना रहा होश इतना मेरा दिल कहाँ है

कहाँ ले चले हो बता दो मुसाफिर
सितारों से आगे ये कैसा जहाँ है
ख्यालों की मंजिल ये ख्वाबों की महफ़िल
समझ में न आये ये दुनिया कहाँ है
........................................
Kahan le chale ho-Durgesh Nandini 1956

Artists: Pradeep Kumar, Beena Rai

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