Oct 13, 2011

जगजीत सिंह को श्रद्धांजलि

गायक जगजीत सिंह ने अपने जीवनकाल में एक बहुत बड़ा प्रशंसक वर्ग
बनाया जिसमें आम आदमी भी शामिल है। जादुई आवाज़ के मालिक
जगजीत सिंह जीवन के उतार चढ़ाव के बीच भी नियमित रूप से सक्रिय
रहे और श्रोताओं को अपनी नई रचनाओं से आनंदित करते रहे।

जगजीत सिंह की खनकती आवाज़ का मैं बहुत बड़ा मुरीद हूँ और ता-उम्र
रहूँगा। कुछ दिन पूर्व जब उनके अस्वस्थ होने और चिकित्सालय में भर्ती
होने का समाचार मिला तभी मन सशंकित हो उठा था। ईश्वर से उनके जल्द
स्वस्थ होने की कामना ही करता रह गया। शायद ईश्वर को उनकी रचनाएँ
सुनने की ज़रुरत महसूस हुई और उन्हें अपने पास बुला लिया । नश्वर संसार है,
जिसने जन्म लिया है उसे यहाँ से एक ना एक दिन जाना ही है। आना-जाना
लगा रहता है मगर जिससे जुड़ाव हो जाता है उसके जाने का दुःख रह रह कर
टीसता रहता है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार
एवं करीबी लोगों को इस दुःख को सहने का हौसला दे।

आज उनको (रोज एक ना एक बार उनको याद कर लेते हैं किसी ना किसी बहाने)
याद करते हुए उनकी ५ रचनाएँ आपके लिए प्रस्तुत हैं।


1) मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था। .......................

ये ग़ज़ल मुझे उनकी गई रचनाओं में जो सबसे ज्यादा पसंद हैं उनमें से एक है।
तन्हाई का अपना पुराना रिश्ता रहा है और समय के साथ साथ मजबूत हो
गया है। इसको सुनो तो लगता है अपनी ही कहानी सुन रहे हों। म्यूज़िक विडियो
जगत में इस रचना ने अपना एक अलग स्थान बना रखा है और इसे हर उम्र
वर्ग के श्रोताओं -दर्शकों ने पसंद किया है।




2) गहरे ज़ख्मों को भरने में वक़्त तो लगता है ...................

हर चीज़ इस जीवन की अपना समय लेती है। वैसे ही प्यार का पहला ख़त
लिखने में भी असमंजस की स्तिथि होती है-क्या लिखूं क्या ना लिखूं।




३) मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन......................

समय निकलने के साथ साथ क्या क्या नहीं छूट जाता हाथ से।
बाद में याद आते हैं वो सुहाने दिन और मन आह कर उठता है ।




4) जान बाकी है मगर सांस रुकी हो जैसे ........
हम भी चुप हैं, तुम भी चुप हो मगर आँखों ने कुछ कह दिया हो जैसे।
मन में बहुत सी बातें हैं, किसी कहूं, तुम्हीं बताओ ? कुछ तुम ही सुना दो।
एक "हाँ" सुनने में कभी कभी जीवन बीत जाता है।





5) कहाँ तुम चले गये ........................
जाने वाले इतने चुपके से क्यूँ जाते हैं कि मन में कई बातें, कई सवाल रह
जाते हैं। अभी तुमसे कितनी बातें करनी थीं, अभी तुमसे ये पूछना था,
अभी तुमसे ये सुनना था-सब अधूरा रह जाता है ।

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