कभी कभी भगवान को भी-राम भजन अनूप जलोटा
अनूप जलोटा की आवाज़ में.
सर्वशक्तिमान द्वारा किसी प्राणी से सहयोग लेना मनुष्य के
लिए एक सबक जैसा है कि प्रकृति के सभी जीव किसी न
किसी रूप में आपस में जुड़े हुए हैं.
किसी को ये भ्रम हो चला हो कि उसे किसी कि ज़रूरत नहीं
पड़ती तो बस इतना ही समझ ले, खाना पचाने में पेट के
अंदर छोटे छोटे जीव यानि के कीटाणु ही मदद करते हैं.
गीत के बोल:
कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े
कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े
कभी कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े
जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े
अवध छोड़ प्रभु वन को धाये,
सिया राम लखन गंगा तट आये
केवट मन ही मन हर्षाये,
घर बैठे प्रभु दर्शन पाए
हाथ जोड़ कर प्रभु के आगे केवट मगन खड़े
प्रभु बोले तुम नाव चलाओ
अरे पार हमे केवट पहुँचाओ
केवट बोला सुनो हमारी
चरण धूल की माया भारी
मैं गरीब नैया मेरी नारी ना होए पड़े
चली नाव गंगा की धारा
सिया राम लखन को पार उतारा
प्रभु देने लगे नाव उतराई
केवट कहे नहीं रघुराई
पार किया मैंने तुमको, अब तू मोहे पार करे
केवट दौड़ के जल भर ले आया
चरण धोये चरणामृत पाया
वेद ग्रन्थ जिन के गुण गाये
केवट उनको नाव चढ़ाये
बरसे फूल गगन से ऐसे
भक्त के भाग्य जगे
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Kabhi kabhi bhagwan ko bhi-Ram bhajan
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