Nov 3, 2013

आई दीवाली दीपों वाली- महाराणा प्रताप १९४६

जगह जगह दीवाली मनाई जाती है-घर में, दफ्तर में, खेत में,
खलिहान में, गोदाम में. हम ब्लॉग पर भी मना लेते हैं एक गीत
सुन कर. धन और सौभाग्य की देवी लक्ष्मी जी की आराधना करते
हुए, सब कुशल मंगल की कामना करते हुए, दीप प्रज्वलित करते
हुए उनसे आगामी एक वर्ष तक समृद्धि बनाये रखने की विनती
करते हैं.

आज इस अवसर पर सुनेंगे एक श्वेत श्याम युग का गीत. फिल्म
का नाम है महाराणा प्रताप. फिल्म देखने का अवसर मुझे प्राप्त नहीं
हुआ अतः ये बता पाना मुश्किल है कि फिल्म में इसे किस पर
फिल्माया गया है. गायिका का नाम अवश्य मालूम है-खुर्शीद, पुराने
ज़माने की प्रसिद्ध गायिका. गीत लिखा है स्वामी रामानंद सरस्वती
ने और इसकी धुन बनाई है संगीतकार राम गांगुली ने. 




गीत के बोल:

आई दीवाली दीपों वाली
गाये सखियाँ, गाये सखियाँ
आई दीवाली दीपों वाली
गाये सखियाँ, गाये सखियाँ
ओ परदेसी मेरी
ओ परदेसी मेरी
ओ परदेसी मेरी नीर भरी अँखियाँ
नीर भरी अँखियाँ

आई दीवाली दीपों वाली
गाये सखियाँ, गाये सखियाँ
आई दीवाली दीपों वाली
गाये सखियाँ, गाये सखियाँ

ओ परदेसी मेरी
ओ परदेसी मेरी
ओ परदेसी मेरी नीर भरी अँखियाँ
नीर भरी अँखियाँ

सारे देश में है अंधियारा
सारे देश में है अंधियारा,
मेरे घर में है उजियारा
तुमने जबसे किया किनारा,
मेरा कौन है सहारा
मेरे घर में है उजियारा
तुमने जबसे किया किनारा,
मेरा कौन है सहारा

कोई ना माने, और ना जाने मन की बतियाँ
कोई ना माने, और ना जाने मन की बतियाँ
नीर भरी अँखियाँ नीर भरी अँखियाँ

आई दीवाली दीपों वाली
गाये सखियाँ, गाये सखियाँ
आई दीवाली दीपों वाली
गाये सखियाँ, गाये सखियाँ

ओ परदेसी मेरी
ओ परदेसी मेरी
ओ परदेसी मेरी नीर भरी अँखियाँ
नीर भरी अँखियाँ


बचपन की जब याद सताये,
जवानी रो रो नीर बहाये
बचपन की जब याद सताये,
जवानी रो रो नीर बहाये
उसी नीर को तेल समझ के मन का दीप जलाये
दुखिया मन का दीप जलाये
उसी नीर को तेल समझ के मन का दीप जलाये
दुखिया मन का दीप जलाये
किसी बहाने से ना जाये काली रतियाँ
किसी बहाने से ना जाये काली रतियाँ
नीर भरी अँखियाँ नीर भरी अँखियाँ

आई दीवाली दीपों वाली
गाये सखियाँ, गाये सखियाँ
आई दीवाली दीपों वाली
गाये सखियाँ, गाये सखियाँ

ओ परदेसी मेरी
ओ परदेसी मेरी
ओ परदेसी मेरी नीर भरी अँखियाँ
नीर भरी अँखियाँ
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Aayi Diwali Deepon Waali-Maharana Pratap 1946

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