Dec 31, 2014

हुई महंगी बहुत ही शराब-पंकज उधास

आज आपको मयखाना किंग पंकज उधास की एक गज़ल सुनवाते हैं.
ठण्ड में गज़क खाते खाते गज़ल सहसा याद आ जाती है. अजीब इत्तेफाक
है. जिन गज़लों ने उधास को मयखाना किंग बनाया उनमें से एक है
प्रस्तुत गज़ल. बरसों तक मेरे मन में ये प्रश्न रहा कि ये लिखी किसने
है. ढूंढते ढूंढते उस शख्सियत के बारे में पता चला. ये हैं चंडीगढ़ के
एस. राकेश जो स्वयं भी  एक संगीतकार हैं.गज़ल की पञ्च लाइन है
थोड़ी थोड़ी पिया करो

इस गज़ल का आविष्कार मानो तब हुआ जब दारु के भाव बढ़ गए थे.
गज़ल  में एक पंक्ति है-पियो लेकिन रखो हिसाब . अब दारु पीने वाले
शायद ही हिसाब लगाते होंगे कि उन्होंने कितनी पी और कितनी उनको
पीना चाहिए. एक बात तय है कि आम जनता केवल शराब शब्द सुनकर
ही आनंद ले लिया करती थी इस गज़ल का.

आइये आनंद उठायें इस गज़ल का.



बोल:

ये इंतज़ार गलत है के शाम हो जाए
जो हो सके तो अभी दौर-ए-जाम हो जाए
मुझ जैसे रिंद को भी तूने, हश्र में, या रब
बुला लिया है तो कुछ इंतजाम हो जाए

हुई महंगी बहुत ही शराब के थोड़ी थोड़ी पिया करो
पियो लेकिन रखो हिसाब के थोड़ी थोड़ी पिया करो
के थोड़ी थोड़ी पिया करो, के थोड़ी थोड़ी पिया करो
हुई महंगी बहुत ही शराब के थोड़ी थोड़ी पिया करो

गम का दौर हो या खुशी, समां बांधती है शराब
गम का दौर हो या खुशी, समां बांधती है शराब
गम का दौर हो या खुशी, समां बांधती है शराब
एक मशवरा है जनाब के थोड़ी थोड़ी पिया करो
के थोड़ी थोड़ी पिया करो, के थोड़ी थोड़ी पिया करो
हुई महंगी बहुत ही शराब के थोड़ी थोड़ी पिया करो

दिल के ज़ख्म को सीना क्या, पीने के लिए जीना क्या
दिल के ज़ख्म को सीना क्या, पीने के लिए जीना क्या
दिल के ज़ख्म को सीना क्या, पीने के लिए जीना क्या
फूँक डाले जिगर को शराब के थोड़ी थोड़ी पिया करो
के थोड़ी थोड़ी पिया करो, के थोड़ी थोड़ी पिया करो
हुई महंगी बहुत ही शराब के थोड़ी थोड़ी पिया करो

दिलबर की बातों में नशा, जुल्फों में नशा, आँखों में नशा
दिलबर की बातों में नशा, जुल्फों में नशा, आँखों में नशा
दिलबर की बातों में नशा, जुल्फों में नशा, आँखों में नशा
मय से बढ़ के उसका शबाब के थोड़ी थोड़ी पिया करो
के थोड़ी थोड़ी पिया करो, के थोड़ी थोड़ी पिया करो
हुई महंगी बहुत ही शराब के थोड़ी थोड़ी पिया करो
पियो लेकिन रखो हिसाब के थोड़ी थोड़ी पिया करो
के थोड़ी थोड़ी पिया करो, के थोड़ी थोड़ी पिया करो
के थोड़ी थोड़ी पिया करो, के थोड़ी थोड़ी पिया करो
के थोड़ी थोड़ी पिया करो
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Hui mehngi bahut hi sharab-Pankaj Udhas Ghazal.

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