Dec 30, 2014

मोर बोले, चकोर बोले-गौरी १९६८

६० के दशक में रंगीन चलचित्र का जोर दिखाई देने
लगा था. खास कर के ६५ के बाद अधिकांश फ़िल्में
रंगीन बनने लगीं. नूतन को श्वेत श्याम परदे पर
देखना ज्यादा सुखद था- यह मेरी अपनी राय है.
ज़रूरी नहीं आप इस विचार से सहमत हों. मगर मेरा
ऐसा मानना है कि श्वेत श्याम फिल्मों के प्रेमी इस
बात से ज़रूर इत्तेफाक रखते होंगे. फिल्म के निर्देशक
ए. भीम सिंह हैं जो दक्षिण भारतीय सिनेमा में अपना
एक अलग स्थान रखते हैं. उन्होंने हिंदी में कुल ८-१०
के करीब फिल्में बनायीं. उनकी निर्देशित सफल हिंदी
फिल्मों में से एक है-गोपी. अब आप समझ ही गए होंगे
कि वे किस श्रेणी के निर्देशक हैं. उनकी फिल्मों में-चाहे
वे उत्तर भारतीय हों या दक्षिण की, संगीत कर्णप्रिय मिलेगा.



गीत के बोल:

मोर बोले, चकोर बोले
अरी, कहाँ बोले ?
सुन तो सही

मोर बोले, चकोर बोले
आज राधा के नैनों में श्याम डोले
मोर बोले, चकोर बोले
आज राधा के नैनों में श्याम डोले

मोर बोले, चकोर बोले

श्याम मेरी फीकी फीकी अंखियों का कजरा
वही मेरी सूनी सूनी बहियों का गजरा
श्याम मेरी फीकी फीकी अंखियों का कजरा
वही मेरी सूनी सूनी बहियों का गजरा
मेरे जीवन में रस की फुहार हो


मोर बोले, चकोर बोले
आज राधा के नैनों में श्याम डोले
मोर बोले, चकोर बोले

दूर से कन्हैया ने मुझको पुकारा
मुरली की धुन में किया है इशारा
दूर से कन्हैया ने मुझको पुकारा
मुरली की धुन में किया है इशारा
मेरे सपनों की वीणा के तार बोलें

मोर बोले, चकोर बोले
आज राधा के नैनों में श्याम डोले
मोर बोले, चकोर बोले

आज मेरे मन की लगन रंग लायी
प्यार का संदेशा भी संग संग लायी
आज मेरे मन की लगन रंग लायी
प्यार का संदेशा भी संग संग लायी
मेरी बगिया में चाम चाम बहार डोले

मोर बोले, चकोर बोले
आज राधा के नैनों में श्याम डोले

मोर बोले, चकोर बोले
....................................
Mor bole chakor bole-Gauri 1968

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