प्रेम की नैया चली-धूप छांव १९३५
ने किया शायद आकाशवाणी के चैनल नहीं कर पाए.
एक कार्यक्रम-सदा जवान गीतों में अंत में सहगल का
गीत सुनाया जाना एक सुखद अनुभूति की तरह है.
आल इण्डिया रेडियो ज़रूर अपने पुराने गीतों के
कार्यक्रम में गुज़रे ज़माने के कलाकारों के गीत बिना
नागा बजाया करता था, एफ एम् चैनल के आ जाने
के बाद और पुराना रेडियो जिसपर मीडियम वेव के
स्टेशन सुनाई दिया करते थे, खराब हो गया. अब तो
कोई ऐसा नहीं मिलता जो बतलाये-आल इण्डिया रेडियो
का मिजाज़ कैसा है आज कल. कुछ साल पहले तक
ब्लॉगर चटका या फटका लगा के मौसम का हाल
बतला दिया करते थे. अब अंगूठे दिखाने का ज़माना है
अंगूठे दिखने से तात्पर्य-लाईक करो चलते बनो. यहाँ
चटके का अर्थ टीके या कमेन्ट से है.
आज आपको फिल्म धूप छांव से चौथा गीत सुनवाते हैं.
इसे पहाड़ी सान्याल और उमा शशि ने गाया है. फिल्म
धूप छांव का निर्देशन नितिन बोस ने किया.फिल्म बनाने
वाली संस्था का नाम है-न्यू थियेटर्स. इस संस्था ने काफी
काम किया फिल्म निर्माण का उन दिनों. न्यू थियेटर्स के
संस्थापक थे-बी. एन. सरकार. १९३५ में प्लेबैक शुरू हुआ
और इसका श्रेय न्यू थियेटर्स को जाता है. भाग्य चक्र नाम
की बंगला फिल्म में इसका पहले पहल उपयोग हुआ.
भाग्य चक्र हिंदी में धूप छांव नाम से बनाई गयी . मूल
बंगला फिल्म में के. सी. डे और पारुल घोष ने आवाजें दीं.
गीत के बोल:
प्रेम की नैया चली जल में मोरी
प्रेम की नैया चली जल में मोरी
छोटी सी नैया चली जल में मोरी
छोटी सी नैया चली जल में मोरी
प्रेम की नैया चली जल में मोरी
छोटी सी नैया चली जल में मोरी
प्रेम का सागर प्रेम की नैया
प्रेम मुसाफिर प्रेम खिवैया
प्रेम का सागर प्रेम की नैया
प्रेम मुसाफिर प्रेम खिवैया
प्रभु बिन मोरा कौन रखैया
प्रभु बिन मोरा कौन रखैया
शोक करे क्यूँ क्यूँ अति भारी
शोक करे क्यूँ क्यूँ अति भारी
ये नैया कभी न गली जल में
ये नैया कभी न गली जल में
मोरी छोटी सी नैया चली जल में मोरी
प्रेम की नैया चली जल में मोरी
छोटी सी नैया चली जल में मोरी
चारों तरफ छाया अँधियारा
सूझे नहीं दूर किनारा
चारों तरफ छाया अँधियारा
सूझे नहीं दूर किनारा
थर थर कांपे मन मतवारा
थर थर कांपे मन मतवारा
क्यूँ इतनी मन की कमजोरी
क्यूँ इतनी मन की कमजोरी
ये नैया हमेशा फली जल में
ये नैया हमेशा फली जल में
छोटी सी नैया चली जल में मोरी
प्रेम की नैया चली जल में मोरी
छोटी सी नैया चली जल में मोरी.
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Prem ki naiya chali-Dhoop Chhaon 1935
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