गुस्ताख दिल-इंग्लिश विन्गलिश २०१२
के पास गीत के सिवा और कोई जरिया नहीं है अपनी भावनाएं
व्यक्त करने का। प्रेम प्यार बहुत बड़ा मसला है हिंदी फिल्मों का,
उसके बहाने तो गीत बन जाते हैं बहुत से. सभी प्रकार के किरदार
हम देख चुके हैं रुपहले परदे पर. एलियन तक ने गीत गा लिया
है हिंदी फिल्म में जिसे देख होलिवुड के निर्देशकों तक ने बाल नोच
लिए थे अपने सर के. उन्होंने इसलिए नोचे कि इतना खूबसूरत
ख्याल उनको क्यूँ नहीं आया. गौरतलब है बम्बैया फिल्म उद्योग को
बॉलीवुड नाम गीतकार अमित खन्ना की देन है.
नायक कवि भी हो सकता है, मगर ऐसा-वैसा कुछ सैकड़ों फिल्मों
में से एक होता है. आजकल तो मुश्किल ही है, क्यूंकि कुछ समय
से काव्यात्मक बुद्धि और रूचि वाले निर्माता निर्देशकों की कमी सी
है बॉलीवुड में. अब हर दूसरे तीसरे गीत में से टायर पंक्चर जैसी
आवाजें या हांजमा खराब होने पर निकलने वाली आवाजों को मात
करने वाली आवाजें आती है. रीमिक्स इतना ज्यादा हावी हो चुका है
कि गीत नामक तत्व का खुद हाजमा खराब हो चुका है. पहले ऐसी
फनी और फंकी आवाजें खिलौनों के साथ या कार्टून फिल्मों में डाली
जाती थीं. अब तो ये सब संगीत के आवश्यक तत्व जैसे हो गए हैं.
इलेक्ट्रोनिक्स के हावी होने से बनी बनाई धुनें और बीट्स प्राप्त होने
लगी हैं. कल्पनाशीलता और मौलिकता आराम फरमा रहे हैं. वो दिन
दूर नहीं जब पैकेट में नूडल मिक्स की तरह गाने और फिल्म बनाने
का मसाला भी आएगा. अपनी पसंद की फिल्म बनाओ, गाने बनाओ,
मुंह से गाओ, नाक से गाओ, चाहे जहाँ से गाओ ,लहसुन का तडका
लगाओ या हींग का सब चलेगा. कुछ साल पहले जनता एक डिस्को
के शौक़ीन संगीतकार की तारीफ़ कुछ यूँ किया करती थी-वे साईकिल
की चेन की आवाज़ का भी प्रयोग बखूबी कर सकते हैं अपने संगीत
में. आज वही टिप्पणीकार वर्तमान संगीत पर कुछ नहीं कहते. शायद
उनको भी पूं पूं पें पें की ध्वनि पसंद आने लगी है.
आपको सुनवाते हैं एक नयी फिल्म से गीत जो ये यकीन दिलाता सा
प्रतीत होता है कि पूरे कुवें में भंग नहीं पड़ी है अभी. ये गीत है फिल्म
इंग्लिश विन्ग्लिश से. स्वानंद किरकिरे के गीत को सुरों में ढाला है
संगीतकार अमित त्रिवेदी ने और इसे गाया है शिल्पा राव ने.
गीत के बोल:
गुस्ताख दिल, दिल में मुश्किल, मुश्किल में दिल
मुश्किल में दिल
गुस्ताख दिल, थोड़ा संगदिल, थोड़ा बुजदिल
दर्द के दर पे, ठहरा है क्यूँ
सज़ा-सज़ा ये खुद को क्यूँ देता नई
हँसने की धुन में, रोता है क्यूँ
सही क्या, गलत क्या, ये कुछ भी समझता नहीं
गुस्ताख दिल, दिल में मुश्किल, मुश्किल में दिल
गुस्ताख दिल
है बर्फ सी सांसों में, आँखों में धुआं-धुआं
ये हर पल क्यूँ खेले है, ग़म का ख़ुशी का जुआ-जुआ
ये उम्मीदों भरा ये खुद से ही डरा
सुलझे धागों में, उलझा है क्यूँ
सलाहें-सलाहें ये खुद की भी सुनता नहीं
गुस्ताख दिल, दिल में मुश्किल, मुश्किल में दिल
गुस्ताख दिल
क्यूँ बातों ही बातों में फिसलती है ज़ुबां-ज़ुबां
किसी शय ना ठहरती है, बहकती है निगाह-निगाह
ये कैसे कब हुआ, ये कह दूँ क्यूँ हुआ
गिरता नहीं तो, संभलता है क्यूँ
झुकाए-झुकाए ये मगरूर झुकता नहीं
गुस्ताख दिल, दिल में मुश्किल, मुश्किल में दिल
गुस्ताख दिल
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Gustakh Dil -English Vinglish 2012
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