लबों को लबों पे सजाओ-भूल भुलैया २००७
अगला गीत पेश है. लबों को लबों पर सजाओ-खूबसूरत सा
ख्याल है. इससे पहले हमने आस्था फिल्म के गीत में लबों
को चूमने की बात सुनी थी. दशकों से हिंदी फ़िल्मी गीतों
में लब कांपते रहे, थरथराते रहे, मुस्कुराते रहे, चूमते रहे,
लिपस्टिक लगाते रहे, चमकते रहे और चमकाते रहे.
गीतकार समीर ने मुखडा ध्यान आकृष्ट करने वाला लिखा है.
उसके बाद तो आजकल के गीतों वाला रूटीन का सामान है.
गायकी आतिफ असलम ब्रांड है. गायक के. के. हैं और शायद
उनका गाना गाने का ये अंदाज़ संगीतकार की वजह से है.
गायक वही गाता है जैसा उससे संगीतकार गवाना चाहता है.
रोमांटिक गीत है और नायक के चेहरे पर ऐसे भाव हैं मानो
उसको वायु विकार हो. वो तो नायिका की बदौलत गीत थोडा
देखने लायक बन पड़ा है. प्रियदर्शन को फिल्म के दृश्यों में
लाईट इफेक्ट में प्रयोग का बहुत शौक है. इस गीत में कम से
कम एक बात बढ़िया है वो ये कि-सफ़ेद चीज़ें भी रोमांटिक हो
सकती हैं-का सन्देश दिया गया है. तिश्नगी शब्द का सीधा अर्थ
है-प्यास. पानी वाली प्यास नहीं बल्कि प्यार की प्यास.
ये पोस्ट विशेष रूप से सोये हुए मित्रों के लिए है.
गीत के बोल:
लबों को लबों पे सजाओ
क्या हो तुम मुझे अब बताओ
लबों को लबों पे सजाओ
क्या हो तुम मुझे अब बताओ
तोड़ दो खुद को तुम
बाहों में मेरी
बाहों में मेरी
बाहों में मेरी बाहों में
बाहों में मेरी
बाहों में मेरी
बाहों में मेरी बाहों में
तेरे एहसासों में
भीगे लम्हातों में
मुझको डूबा तिश्नगी सी है
तेरी अदाओं से दिलकश खताओं से
इन लम्हों में जिन्दगी सी है
हया को ज़रा भूल जाओ
मेरी ही तरह पेश आओ
खो भी दो खुद को तुम
रातों में मेरी
रातों में मेरी
रातों में मेरी रातों में
लबों को लबों पे सजाओ
क्या हो तुम मुझे अब बताओ
तेरे जज्बातों में
महकी सी साँसों में
ये जो महक संदली सी है
दिल की पनाहों में
बिखरी सी आहों में
सोने कि ख्वाहिश जगी सी है
चेहरे से चेहरा छुपाओ
सीने की धडकन सुनाओ
देख लो खुद को तुम
आँखों में मेरी
आँखों में मेरी
आँखों में मेरी
आँखों में
लबों को लबों पे सजाओ
क्या हो तुम मुझे अब बताओ
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Labon ko labon pe sajao-Bhool bhulaiya 2007
Artist: Shiney Ahuja, Vidya Balan,
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