सुहाग की रात आई सजनी-अधिकार १९३८
हिंदी फ़िल्मी गीतों के शौक़ीन हैं. श्वेत श्याम युग के प्रथम
चरण के एक प्रभावशाली गायक थे सान्याल. उसके अलावा
अभिनय भी वे किया ही करते थे. उस समय के तकरीबन
अधिकांश कलाकार गायन और अभिनय दोनों ही किया करते
थे.
फिल्म आराधना में शर्मिला टैगोर के पिता की भूमिका निभाने
वाले सान्याल राज कपूर की फिल्म जागते रहो में भी थे.
उन्होंने ४० के दशक की कई फिल्मों में अभिनय किया. इस
फिल्म में जमुना, पी सी बरुआ, पहाड़ी सान्याल, मेनका देवी,
जगदीश सेठी और पंकज मलिक जैसे कलाकारों ने काम
किया था. पी सी बरुआ उर्फ प्रमतेश चंद्र बरुआ इस फिल्म
के निर्देशक भी थे. प्रमतेश चंद्र बरुआ भारतीय फिल्म इतिहास
के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक रहे हैं.
गीत लिखा है जैसा कि जगह जगह विवरणों में मिलता है –
मुंशी आरजू ने उर्फ आरजू लखनवी ने. इस गीत का संगीत
तैयार किया है तिमिर बरन ने. इसपर भी विवाद है कि धुन
पंकज मलिक ने बनाई है या तिमिर बरन ने. ३० के दशक
और ४० के दशक के कलाकारों के बारे में अभी कुछ समय
से जानकारियों की फसल उगना शुरू हुयी है नेट पर. कुछ
समय बाद हमें ज्यादा प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध हो पायेगी.
गीत के बोल:
सुहाग की रात आई सजनी
काहे भरे तोरे नैना
सुहाग की रात आई सजनी
काहे भरे तोरे नैना
सुहाग की रात
आँगन में तोरा चांद हंसत है
आँगन में तोरा चांद हंसत है
पवन रचत मधु बैन सजनी
पवन रचत मधु बैन सजनी
काहे भरे तोरे नैना
सुहाग की रात आई सजनी
काहे भरे तोरे नैना
सुहाग की रात
फागुन में चित होत उदासी
वाही के सुन बैना
फागुन में चित होत उदासी
वाही के सुन बैना
सो ही कारण भाई उदासी
झर लागें मोरे नैना
हाँ, सो ही कारण भाई उदासी
झर लागें मोरे नैना
सजनी झर लागें मोरे नैना
सुहाग की रात आई सजनी
काहे भरे तोरे नैना
सुहाग की रात
सजन तोहे आन पुकारे
काहे घूंघट काढ़े
सजन तोहे आन पुकारे
काहे घूंघट काढ़े
अँखियाँ में सखी काजर फेरो
अँखियाँ में सखी काजर फेरो
आन बसों मोरे नैन
सुहाग की रात आई सजनी
काहे भरे तोरे नैना
सुहाग की रात
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Suhag ki raat aayi sajni-Adhikar 1938
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