Feb 13, 2016

तेरी जुल्फों से जुदाई-जब प्यार किसी से होता है १९६१

हसरत जयपुरी का जादू रोमांटिक गीतों में चरम पर होता था.
रोमांटिक गीत भी किस्म किस्म के मिलेंगे आपको. प्रस्तुत
गीत है प्यार में शिकायत वाला. दर्द वाला सुर है मगर इसे
सुनना आनंददाई है. गीत में रफ़ी की रेंज का भरपूर इस्तेमाल
हुआ है.

इसमें एक लाइन यूँ है- ‘अपने बीमार पे, इतना भी सितम ठीक
नहीं’. कोई गलती से किसी यमदूत किस्म के डॉक्टर के चंगुल
में फँस जाए जिसका ध्यान फीस की तरफ ज्यादा और मरीज
के इलाज की तरफ कम हो, तब मरीज के दिल से भी ऐसी ही
भावना निकलती है.

आपकोई इस फिल्म से एक गीत पहले सुनवाया जा चुका है
जिसमें भूत, वर्त्तमान, भविष्य काल के प्रयोग का एक शानदार
उदाहरण है.




गीत के बोल:


तेरी ज़ुल्फ़ों से जुदाई तो नहीं माँगी थी
क़ैद माँगी थी, रिहाई तो नहीं माँगी थी

मैंने क्या ज़ुल्म किया, आप खफ़ा हो बैठे
मैंने क्या ज़ुल्म किया, आप खफ़ा हो बैठे
प्यार माँगा था, खुदाई तो नहीं माँगी थी
क़ैद माँगी थी, रिहाई तो नहीं माँगी थी

मेरा हक़ था तेरी आंखों की छलकती मय पर
चीज़ अपनी थी, पराई तो नहीं माँगी थी
क़ैद माँगी थी, रिहाई तो नहीं माँगी थी

अपने बीमार पे, इतना भी सितम ठीक नहीं
तेरी उल्फ़त में, बुराई तो नहीं माँगी थी
क़ैद माँगी थी, रिहाई तो नहीं माँगी थी

चाहने वालों को कभी, तूने सितम भी ना दिया
तेरी महफ़िल से, रुसवाई तो नहीं माँगी थी
क़ैद माँगी थी, रिहाई तो नहीं माँगी थी

तेरी ज़ुल्फ़ों से जुदाई तो नहीं माँगी थी
क़ैद माँगी थी, रिहाई तो नहीं माँगी थी
…………………………………………………….
Teri zulfon se-jab pyar kisise hota hai 1961

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