Jun 12, 2016

अंखियों किनारे...झीनी रे झीनी-इसक २०१३

यू पी की कहानियां विद नीलेश मिश्र-ये वही हैं इस गीत के
गीतकार. रेडियो के एक चैनल पर आपने ये कार्यक्रम ज़रूर
सुना होगा. पुराने समय में फिल्म का विवरण याद रख पाना
थोडा आसान होता था. आज के समय में कौनसा गीत किसने
लिखा और किसने संगीत बनाया, कौन गा रहा है इसे याद
रखना मुश्किल होता जा रहा है. आवाजें भी इतनी मिलती
जुलती सी आ गयी हैं कि अधिकाँश एक दूसरे के क्लोन जैसे
सुनाई देते हैं.

प्रस्तुत गीत है फिल्म इसक से जिसे रशीद खान और प्रतिभा
बघेल ने गाया है. संगीत सचिन जिगर की जोड़ी का है. प्रतिभा
बघेल रीवा, मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं. रशीद खान क्लासिकल
म्यूजिक जगत के ख्यात गायक हैं. उन्होंबे कुछ फ़िल्मी गीत
भी गाये हैं इस गीत के अलावा. सारंगी बहुत दिनों के बाद किसी
फ़िल्मी गीत में सुनाई दी है.




गीत के बोल:

अँखियाँ किनारों से जो
बोली थी इसारों से जो
कह दीजो फिर से तू ज़रा
फूल से छुआ था तोहे
तब क्या हुआ था मोहे
सुन लीजो फ़िर से तो ज़रा
झीनी रे झीनी याद चुनरिया
लो फ़िर से तेरा नाम लिया
झीनी रे झीनी याद चुनरिया
लो फ़िर से तेरा नाम लिया


सारे ज़ख़्म अब मीठे लागें
कोई मलहम भला अब क्या लागे
दर्द ही सोहे मोहे जो भी होवे
टूटे ना टूटे ना टूटे ना टूटे ना

सूझे नहीं बूझे कैसे जियरा पहेली
मिलना लिखा न लिखा पढ़ ले हथेली

पढ़ ली हथेली पिया दर्द सहेली पिया
गम का है गम अब ना हमें
रंग ये लगा को ऐसो
रंगरेज को भी जैसो
रंग देवे अपने रंग में

झीनी रे झीनी याद चुनरिया
लो फ़िर से तेरा नाम लिया
झीनी रे झीनी याद चुनरिया
लो फ़िर से तेरा नाम लिया

सुन रे मना हूँ तेरे जैसी
काहे सताये आधी रात
नदिया बैरी भई बैरी भई

ज़हर चखा है आग है पीली
छलनी कर गयी पीड़ नुकीली
पर यादों की झालर चमकीली
टूटे ना टूटे ना टूटे ना टूटे ना

धूप में झुलस गए, दूरियों से हारे
पार क्या मिलेंगे कभी, छाँव के किनारे

छाँव के किनारे कभी कहीं मझधारे कभी
हम तो मिलेंगे देखना
तेरे सिरहाने कभी नींद के बहाने कभी
आएँगे हम ऐसे देखना

झीनी रे झीनी याद चुनरिया
लो फ़िर से तेरा नाम लिया
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Ankhiyonb kinare….Jheeni re jheeni-Isaaq 2013

Artists-Prateek Babbar, Amyra Dastoor

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