बरसन लागी बदरिया-कजरी-छन्नूलाल मिश्र
लगता है संगीत रसिकों को. हिन्दुस्तानी संगीत इतना समृद्ध
है कि हमारी नयी पीढ़ी को उसे खोजने की ज़रूरत है नए
सिरे से. समय के साथ फंकी और बीत म्युज़िक चलन में
है मगर जो जड़ें हैं हमारे संगीत की वो बहुत मजबूत हैं
जिसके नमूने हम नयी फिल्मों में भी यदा-कद देखते ही हैं.
केवल एक पहलु जो ज्यादा उजागर किया जाता है-गला
फाड़ना और टेबिल कुर्सी, पहाड़ पर चढ कर ऊंचे सुर में
गाना. उससे ज्यादा बहुत कुछ है जो उजागर नहीं है.
आइये सुनें पंडित छन्नूलाल मिश्र कि आवाज़ में एक कजरी
जो बनारस घराने के परंपरागत अंदाज़ में गयी है. बनारस
प्रकृति के अनेक आशीर्वादों से संपन्न है, क्यूँ ना हो, जिस
नगर पर भोलेनाथ की असीम कृपा हो वहां आनंद ही आनंद
है.
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