सफ़र में धूप तो होगी-गज़ल चित्रा सिंह
की आवाज़ में. इसका संगीत जगजीत सिंह ने तैयार किया
है.
जिंदगी का फलसफा है निदा फाज़ली की नज़र से. कोम्पीटीशन
का ज़माना है और गलाकाट प्रतिस्पर्धा. इस दौर में ये ज्यादा
प्रासंगिक मालूम पड़ती है. यहाँ समय के अनुसार खिलौनों को
आप गैजेट्स समझ लें.
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी, निकल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी, निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को, ख़ुद ही, बदल सको तो चलो
तुम अपने आप को, ख़ुद ही, बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के, अगर तुम, सम्भल सको तो चलो
मुझे गिरा के, अगर तुम, सम्भल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
यही है ज़िंदगी, कुछ ख़ाक, चंद उम्मीदें
यही है ज़िंदगी
यही है ज़िंदगी, कुछ ख़ाक, चंद उम्मीदें
इन्ही खिलौनों से, तुम भी, बहल सको तो चलो
इन्ही खिलौनों से, तुम भी, बहल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी, निकल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
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Safar mein dhoop to hogi-Ghazal Chitra Singh
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