हम दर्द के मारों का-दाग १९५२
सितारों के लिए गीत गाये. देव आनंद और दिलीप कुमार
पर फिल्माए गए उनके गीत ज्यादा लोकप्रिय हैं. ट्रेजडी
किंग के नाम से विख्यात हुए दिलीप कुमार पर तलत के
गीत ज्यादा जंचते महसूस होते हैं.
आज सुनते हैं सन १९५२ की दाग से एक गीत जिसे लिखा
है हसरत जयपुरी ने. शंकर जयकिशन का संगीत है. इस
फिल्म के सभी गीत लोकप्रिय हैं बस कम-ज्यादा का फर्क
है. हमदर्द शब्द से गीत शुरू होता है इसे हम हमदर्द हिट
कह सकते हैं.
गीत के बोल:
बुझ गये ग़म की हवा से प्यार के जलते चराग
बेवफ़ाई चाँद ने की पड़ गया इसमें भी दाग
हम दर्द के मारों का इतना ही फ़साना है
पीने को शराब-ए-ग़म दिल गम का निशाना है
हम दर्द के मारों का इतना ही फ़साना है
दिल एक खिलौना है तक़दीर के हाथों में
दिल एक खिलौना है तक़दीर के हाथों में
तकदीर के हाथों में
मरने की तमन्ना है जीने का बहाना है
पीने को शराब-ए-ग़म दिल गम का निशाना है
देते हैं दुआएं हम
देते हैं दुआएं हम
दुनिया की जफ़ाओं को
दुनिया की जफ़ाओं को
क्यूँ उनको भुलाएं हम अब खुद को भुलाना है
पीने को शराब-ए-ग़म दिल गम का निशाना है
हँस हँस के बहारें तो शबनम को रुलाती हैं
हँस हँस के बहारें तो शबनम को रुलाती हैं
शबनम को रुलाती हैं
आज अपनी मुहब्बत पे दरिया को रुलाना है
आज अपनी मुहब्बत पे दरिया को रुलाना है
हम दर्द के मारों को डाबर का फ़साना है
पीने को शराब-ए-ग़म दिल गम का निशाना है
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Ham dard ke maaron ka-Daag 1952
Artist: Dilip Kumar
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