खत लिख दे सांवरिया के-आप आये बहार आई १९६६
१९६६ की फिल्म में धर्मेन्द्र और आशा पारेख की जोड़ी है. फिल्म
का शीर्षक गीत भी काफी चर्चित है जो रफ़ी ने गया है. प्रस्तुत
गीत आशा भोंसले की आवाज़ में है और काफी लोकप्रिय है.
आनंद बक्षी का लिखा गीत जिसकी धुन लक्ष्मी प्यारे ने बनाई,
आज भी आप सुन सकते हैं रेडियो चैनलों पर. गीत के शुरू में
संगीत का बहुत लंबा पीस है जैसा शंकर जयकिशन के संगीत
में अक्सर पाया जाता है.
गीत को आप काफी सारी श्रेणियों में रख सकते हैं, जैसे सांवरिया,
बाबू, खत, कोरा कागज, सलाम इत्यादि. जो श्रेणी मैंने छोड़ दी है
वो आप जोड़ लें इस सूची में. भाव के हिसा से ये निवेदन, आग्रह
गीत कहा जा सकता है.
गीत के बोल:
अब के बरस भी बीत न जाये
ये सावन की रातें
देख ले मेरी ये बेचैनी
और लिख दे दो बातें
खत लिख दे सांवरिया के नाम बाबू
खत लिख दे सांवरिया के नाम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू
वो जान जाएंगे पहचान जाएंगे
कैसे होती है सुबह से शाम बाबू
कैसे होती है सुबह से शाम बाबू
वो जान जाएंगे पहचान जाएंगे
खत लिख दे सांवरिया के नाम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू
वो जान जाएंगे पहचान जाएंगे
खत लिख दे
सारे वादे निकले झूठे
सामने हो तो कोई उनसे रूठे
सामने हो तो कोई उनसे रूठे
ले गई बैरन शहर पिया का
राम करे कि ऐसी नौकरी छूटे
उन्हें जिसने
उन्हें जिसने बनाया गुलाम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू
वो जान जाएंगे पहचान जाएंगे
खत लिख दे लिख दे ना
जब आएंगे सजना मेरे
खन-खन खनकेंगे कँगना मेरे
खन-खन खनकेंगे कँगना मेरे
पास गली में घर है मेरा
उस दिन तू भी आना अँगना मेरे
कुछ तुझको तुझको मैं दूँगी ईनाम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू
वो जान जाएंगे पहचान जाएंगे
कैसे होती है सुबह से शाम बाबू
खत लिख दे
और बहुत कुछ है लिखवाना
कैसे बताऊं तुझे तू बेगाना
कैसे बताऊं तुझे तू बेगाना
शर्म से अँखियाँ झुक जाएंगी
धड़क उठेगा मोरा दिल दीवाना
बस आगे आगे नहीं तेरा काम बाबू
कोरे कागज़ पे लिख दे सलाम बाबू
वो जान जाएंगे पहचान जाएंगे
कैसे होती है सुबह से शाम बाबू
कैसे होती है सुबह से शाम बाबू
वो जान जाएंगे पहचान जाएंगे
खत लिख दे
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Khat likh de sanwariya-Aaye din bahar ke 1966
Artists: Dharmendra, Asha Parekh
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