सुनिये तो ज़रा कहाँ रूठ-आँख मिचोली १९६२
जिसका निर्देशन रवींद्र दवे ने किया. शेखर और माला सिन्हा इस
फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं.
गीत में मुकेश के अलावा दो आवाजें हैं जो शायद रफ़ी और लता की
हैं. कोई ज्ञानी संगीत प्रेमी इस बात पर प्रकाश डाल सकता है कि
वास्तव में आवाजें किसकी हैं.
मजरूह का लिखा हल्का फुल्का क़िस्म का गीत है ये जिसकी धुन
बनायीं है चित्रगुप्त ने. अनूठा गीत है जिसमें मियां बीवी के अलावा
घर के नौकर भी गीत में साथ दे रहे हैं.
गीत के बोल:
सुनिये तो ज़रा कहाँ रूठ के चले
यूँ बात बढ़ाया नहीं करते
सुनिये तो ज़रा
हाँ मेमसाब
जी मेमसाब
सुनिये तो ज़रा कहाँ रूठ के चले
यूँ बात बढ़ाया नहीं करते
जिस दिल में सनम तसवीर हो तेरी
उसको ठुकराया नहीं करते
सुनिये तो ज़रा
हाँ मेमसाब
जी मेमसाब
छोड़ो गुस्सा सम्भालो ज़रा आँचल
देखो देखो उलझ गई पायल
छोड़ो गुस्सा सम्भालो ज़रा आँचल
देखो देखो उलझ गई पायल
अजी हो के खफ़ा यूँ एक दम
उठ के जाया नहीं करते
सुनिये तो ज़रा कहाँ रूठ के चले
यूँ बात बढ़ाया नहीं करते
सुनिये तो ज़रा
हाँ मेमसाब
जी मेमसाब
जो ये टूटे तो कोई मुश्किल है
वो तो कहो कि दिल मेरा दिल है
जो ये टूटे तो कोई मुश्किल है
वो तो कहो कि दिल मेरा दिल है
अजी दर्पण को यूँ हर दम
ठेस लगाया नहीं करते
सुनिये तो ज़रा कहाँ रूठ के चले
यूँ बात बढ़ाया नहीं करते
सुनिये तो ज़रा
हाँ मेमसाब
जी मेमसाब
कहा आओ तो तुम लगे जाने
इस अदा के हमीं हैं दीवाने
कहा आओ तो तुम लगे जाने
इस अदा के हमीं हैं दीवाने
अजी और को हम अपनी क़सम
यूँ बुलाया नहीं करते
सुनिये तो ज़रा कहाँ रूठ के चले
यूँ बात बढ़ाया नहीं करते
जिस दिल में सनम तसवीर हो तेरी
उसको ठुकराया नहीं करते
सुनिये तो ज़रा
हाँ मेमसाब
जी मेमसाब
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Suniye to zara kahan rooth ke-Aankh michauli 1962
Artists: Shekhar, Mala Sinha
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