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Jul 22, 2020

एक आना बूट पॉलिश-तेल मालिश बूट पॉलिश १९६१

आज गायक मुकेश चंद्र माथुर का जन्मदिन है. इस
अवसर पर सुनेंगे एक गीत चित्रगुप्त के संगीत वाला.
गीतकार प्रेम धवन हैं और फिल्म का नाम रोचक है
तेल मालिश बूट पॉलिश.

परदे पर गीत शेख मुख्तार के ऊपर फिल्माया गया है.
यूनीक सोंग है जिसमें तेल मालिश और बूट पॉलिश
एक साथ की जा रही है. पुराने ज़माने का टू इन वन
ऑफर.




गीत के बोल:

तेल मालिश बूट पॉलिश
एक आना बूट पॉलिश
दो आना तेल मालिश
गाढ़े पसीने की ये अपनी कमाई है
ना तो किसी की चोरी
ना कोई सीना जोरी
हाथों से रोटी जो कमाई है तो खाई है
एक आना बूट पॉलिश
दो आना तेल मालिश
गाढ़े पसीने की ये अपनी कमाई है
एक आना बूट पॉलिश
दो आना तेल मालिश

बंगले में रहते नहीं रहते हैं चाल में
बंगले में रहते नहीं रहते हैं चाल में
खुश ही रहे हैं यारों रहें जिस हाल में
फ़ाके भी काटे पर मांगी नहीं पाई है

एक आना बूट पॉलिश
दो आना तेल मालिश
गाढ़े पसीने की ये अपनी कमाई है
एक आना बूट पॉलिश
दो आना तेल मालिश

धंधा है ना रेस का ना सट्टे का व्यापार है
धंधा है ना रेस का ना सट्टे का व्यापार है
माँगा कभी चन्दा है ना खाया ही उधार है
अपनी दूकान फुटपाथ पे लगाई है

एक आना बूट पॉलिश
दो आना तेल मालिश
गाढ़े पसीने की ये अपनी कमाई है
एक आना बूट पॉलिश
दो आना तेल मालिश
तेल मालिश बूट पॉलिश

लाखों की तमन्ना है न महलों का ख़याल है
लाखों की तमन्ना है न महलों का ख़याल है
सुबह शाम रोज़ी मिले इतना सवाल है
तो भी न जीने दे ये दुनिया दुहाई है

एक आना बूट पॉलिश
दो आना तेल मालिश
गाढ़े पसीने की ये अपनी कमाई है
एक आना बूट पॉलिश
दो आना तेल मालिश
गाढ़े पसीने की ये अपनी कमाई है
एक आना बूट पॉलिश
दो आना तेल मालिश
…………………………………………………..
Ek aana boot polish-Tel malish boot polish 1961

Artists: Sheikh Mukhtar, kids

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Jul 2, 2020

बहारों ने जिसे छेड़ा है-सुनहरे दिन १९४९

वाह वाह क्या गाना है ये. ऑसम जॉसम. गाने के बोल भी
लाजवाब हैं और संगीत भी.

सुनते हैं शेवान रिज़वी का लिखा और ज्ञान दत्त द्वारा कम्पोज़
किया गया गीत जिसे मुकेश गा रहे हैं परदे पर राज कपूर
के लिए.

आज बॉलीवुड वालों में से अभिनेत्री गौतमी, मोहम्मद अज़ीज़,
और रजा मुराद का जन्मदिन है. निर्देशक महेश कॉल की आज
पुण्यतिथि है.

राज कपूर आल इण्डिया रेडियो के माईक पर गाते दिख रहे हैं
गाने में और रेडियो पर इसे सुनने वालियों में शायद रेहाना और
रूपकमल हैं? पूरा ओर्केस्ट्रा भी दिख रहा है गाने में जो असल
में बजा रहा है या केवल गाने के लिए साज़ हिलाए डुलाये जा
रहे हैं ये आप मालूम कीजिये और हमें भी बतलाइये.





गीत के बोल:

बहारों ने जिसे छेड़ा है वो साज़-ए-जवानी है
ज़माना सुन रहा है जिसको
ज़माना सुन रहा है जिसको वो मेरी कहानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा

क़सम खा के किसी को जब कभी अपना बनाऊँगा
चमन की डालियों से लालियाँ फूलों की लाऊँगा
सितारों के चिराग़ों से फिर इस घर को सजाऊँगा
कि इस दुनिया में मुझको एक नई दुनिया बसानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा

चमन में सबने ही गाया तराना ज़िन्दगानी का
मगर सबसे अलग था रंग मेरी ही कहानी का
फ़साना इस क़दर रंगीन था मेरी जवानी का
कि जिसने भी सुना कहने लगा मेरी कहानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा

कोई समझे ना समझे मैं कहे देता हूँ दुनिया से
कि मैं दुनिया में हूँ मतलब नहीं रखता हूँ दुनिया से
कभी कुछ दिल में आता है तो कह देता हूँ दुनिया से
मेरी आवाज़ ही मेरी तमन्ना की निशानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा
ज़माना सुन रहा है जिसको वो मेरी कहानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा
………………………………………………
Baharon ne jise chheda-Sunehre Din 1949

Artists: Raj Kapoor, Rehana, Roopkamal, Nigar Sultana

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Apr 20, 2020

कहो आ के बहार-फोर्टी डेज़ १९५९

आप खुश होते हैं तब गीतों के संगीत का आनंद लेते है
और जब आप दुःख के बादलों में घिरे होते हैं तब बोलों
का अर्थ समझते हैं. ये बात जिसने भी कहीं है सटीक है.

एक गीत है मुकेश आशा का गाया युगल गीत १९५९ का
जिसमें पहली पंक्ति को कुछ यूँ समझते थे हम-कहो आ
के बाहर, करे मेरा सिंगार. वो शब्द बहार है जिसके कारण
गफ़लत कई गानों में हो चुकी है.

सरसरी तौर पर गान सुनने में अर्थ का अनर्थ होने की
सम्भावना प्रबल होती है. मगर, जिन गानों के बोल ही
समझ ना आयें उनका क्या? साय सुकू साय सुकू साय
साय !

कैफी आज़मी की रचना है और बाबुल का संगीत. गीत
में एक शोख नज़र से सौ भेद समझने की बात कही
गयी है. सदियों से कवि, गीतकार और प्रेमी रिसर्च कर
के थक-मर गए मगर स्त्री मन का भेद कोई ना जान
पाया. अंगड़ाई मच्छर भगाने के लिए है या अलसाने की
अदा.

गाने की हो ओ ओ ओ से आपको नैयर के संगीत वाला
‘रोका कई बार मैंने’ गीत याद आना चाहिए.




गीत के बोल:

हो ओ ओ ओ ओ
कहो आ के बहार करे मेरा सिंगार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला
हो ओ ओ ओ ओ
चुनूँ फूल हज़ार ओ करूँ तुझपे निसार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला

आँखों में खुशी नाचे होंठों पे हंसी गाये
कह दो गम-ए-दुनिया से छुपे से गुज़र जाये
सुनो दिल की पुकार कहे दिल बार बार
मुझे प्यार मिला ओ दिलदार मिला
हा आ आ आ आ

चुनूँ फूल हज़ार ओ करूँ तुझपे निसार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला

ये मस्त फ़ज़ा दिल को दीवाना बनाती है
ये मस्त फ़ज़ा दिल को दीवाना बनाती है
एक शोख नज़र तेरी सौ भेद बताती है
तुम्हीं मेरा क़रार तुम्हीं मेरा निखार
मुझे प्यार मिला ओ दिलदार मिला
हा आ आ आ आ

कहो आ के बहार करे मेरा सिंगार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला
हाय

बेदर्द ज़माने को हम प्यार सिखा देंगे
दिल खो ही चुके पहले अब जां भी गंवा देंगे
ये है ऐसा खुमार नहीं जिसका उतार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला
हो ओ ओ ओ ओ
कहो आ के बहार करे मेरा सिंगार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला
हो ओ ओ ओ ओ
…………………………………………………
Kaho aa ke bahaar-40 Days 1959

Artists: Premnath, Nishi

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Mar 13, 2020

अपनी उल्फत पे ज़माने का-ससुराल १९६१

श्वेत श्याम युग से एक युगल गीत सुन लिया जाए जिसे
मुकेश और लता मंगेशकर ने गाया है.

हसरत जयपुरी के बोल हैं और शंकर जयकिशन का संगीत.
यह गाना अपने ज़माने का लोकप्रिय गीत है. ऐसे गीतों को
रेडियो अदरक, लहसुन, प्याज ज़रा कम बजाया करते हैं.

हिसाब लगाया जाए तो इस गीत को ५९ साल हो गये
बजते बजते. गीत महमूद और शुभा खोटे पर फिल्माया
गया है.



गीत के बोल:

अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता
तो कितना अच्छा होता तो कितना अच्छा होता
प्यार की रात का कोई न सवेरा होता
तो कितना अच्छा होता तो कितना अच्छा होता
अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता
तो कितना अच्छा होता तो कितना अच्छा होता

पास रह कर भी बहुत दूर बहुत दूर रहे
एक बंधन में बंधे फिर भी तो हम दूर रहे
पास रह कर भी बहुत दूर बहुत दूर रहे
एक बंधन में बंधे फिर भी तो हम दूर रहे
मेरी राहों में न उलझन का अँधेरा होता
तो कितना अच्छा होता तो कितना अच्छा होता

प्यार की रात का कोई न सवेरा होता
तो कितना अच्छा होता तो कितना अच्छा होता

दिल मिले आँख मिली प्यार न मिलने पाये
बाग़बान कहता है दो फूल न खिलने पाये
दिल मिले आँख मिली प्यार न मिलने पाये
बाग़बान कहता है दो फूल न खिलने पाये
अपनी मंज़िल को जो काँटों ने न घेरा होता
तो कितना अच्छा होता तो कितना अच्छा होता

अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता
तो कितना अच्छा होता तो कितना अच्छा होता

अजब सुलगती हुई लकड़ियां हैं जगवाले
मिले तो आग उगलते कटे तो धुआं करें
अजब सुलगती हुई लकड़ियां हैं जगवाले
मिले तो आग उगलते कटे तो धुआं करें
अपनी दुनिया में भी सुख चैन का पहरा होता
तो कितना अच्छा होता तो कितना अच्छा होता

अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता
तो कितना अच्छा होता तो कितना अच्छा होता
प्यार की रात का कोई न सवेरा होता
तो कितना अच्छा होता तो कितना अच्छा होता
………………………………………………………
Apni ulfat pe zamane ka-Sasural 1961

Artists: Mehmood, Shubha Khote, Dhumal

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Feb 11, 2020

कितने क़िस्म की बेईमानी-बेईमान १९७२

फिल्म बेईमान के शीर्षक गीत का दूसरा संस्करण
पेश है. इसमें नायक एक एक कर के बेईमानी की
किस्में गिनवा रहा है. जो कुछ पहले संस्करण में
बाकी बच गया था वो इस संस्करण की पंक्तियों में
शामिल कर लिया है गीतकार ने.

वर्मा मलिक ने इस प्रकार के गीत काफी लिखे हैं
मगर प्रसिद्धि दूसरे गीतकारों को ज्यादा मिली है
जिन्होंने भ्रष्टाचार, सामाजिक समस्याओं और इतर
विषयों पर लिखा है.

मुकेश की आवाज़ है और संगीत शंकर जयकिशन का.



गीत के बोल:

कितने किस्म की बेईमानी कितने किस्म के बेईमान
एक एक गिनवाता हूँ ज़रा सुनना दे कर ध्यान
राईट देट्स राईट
न इज्ज़त की चिंता न फिकर कोई अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
न इज्ज़त की चिंता न फिकर कोई अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो

बात के झूठे नज़र के खोटे दिल के बड़े कठोर
बड़ा हैरान हुआ जब देखे बैठे चारों ओर
मुझे देख इस महफ़िल में इसलिए मचायें शोर
के बड़े बड़े चोरों में आ गया कहाँ से छोटा चोर
जो कहना है वो कह दूं परवाह नहीं इस अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो

इस दुनिया में देखे हैं कुछ ऐसे भी इंसान
खुद को देवता समझें और दूजे को बेईमान
आज फोड़ दूं सबके भांडे टूट जाए अभिमान
अपने अपने दिल से पूछो कौन है ईमान
सूरज सी दिशा दी है पर सूरत है शैतान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो

बड़ी बेईमानी करते कुछ बड़े घरों के जाये
बड़े नाम की चादर से चेहरे को रहे छुपाये
औरों पे वो दोष लगा कर अपने पाप छुपाये
उसको मान मिले जग में जो बेईमान बन जाये
उस बाप को खबर नहीं है अरे ऐसी नेक संतान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो

अरे न इज्ज़त की चिंता न फिकर कोई अपमान की
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
जय बोलो बेईमान की जय बोलो
……………………………………………
Kitne kism ki beimaani-Beimaan 1972

Artist: Manoj Kumar, Rakhi

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Jan 2, 2020

तू शैतानों का सरदार है-बारूद १९७६

बाल गीतों में अगला पेश है फिल्म बारूद से. वो
गीत जिनका सम्बन्ध बच्चों से होता है उन्हें हम
बाल गीत कहते हैं.

फिल्म बारूद के लिए इस गीत को आनंद बक्षी ने
लिखा है. मुकेश और शिवांगी कोल्हापुरे की आवाजें
हैं, एस डी बर्मन का संगीत.



गीत के बोल:

तू शैतानों का सरदार है
सच है
हरदम लड़ने को तैयार है
सच है
ओ तेरे हाथों मेरा जीना दुश्वार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
हो डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
शैतानों का सरदार है
सच है
हरदम लड़ने को तैयार है
सच है
ओ तेरे हाथों मेरा जीना दुश्वार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
हो डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है

मार के ठोकर मेज का कोना तोड़ दिया है
मेरा तो हर सपन सलोना तोड़ दिया है
मार के ठोकर मेज का कोना तोड़ दिया है
मेरा तो हर सपन सलोना तोड़ दिया है
और अपना भी हर एक खिलौना तोड़ दिया है
और अब जाने क्या तोड़े कोई एतबार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
हो डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है

सोचा था तू मेरे कितने काम करेगा
पढ़ लिख कर दुनिया में रोशन नाम करेगा
सोचा था तू मेरे कितने काम करेगा
पढ़ लिख कर दुनिया में रोशन नाम करेगा
तू तो मेरा नाम भी बदनाम करेगा
तुझको समझाने की हर कोशिश बेकार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
ओ डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है

क्या जंगल का राजा कभी मोर बनेगा
शेर का बेटा क्या इतना कमज़ोर बनेगा
अरे क्या जंगल का राजा कभी मोर बनेगा
शेर का बेटा क्या इतना कमज़ोर बनेगा
मैं सिपाही बना तू शायद चोर बनेगा
क्या कहूँ तू फूल है या काँटों का हार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
…………………………………………………
Too shaitanon ka sardar hai-Barood 1976

Artists: Shriram Lagoo, Master Raju

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Dec 20, 2019

ओ तेरी दुनिया कैसी-चांदी सोना १९७७

जीवन दर्शन वाले गीत तो बहुत बने हैं फिल्म जगत में
और ये समय समय पर किसी दैवीय प्रेरणा से बनते हैं.
इनका उद्देश्य होता है जो आम जनता को सन्देश देता है
अपने अपने तरीके से. इंसान समझना ही नहीं चाहता कि
जीवन का सार क्या है. बड़ी से बड़ी एल ई डी टी वी
लेने में तो कतई नहीं है.

समय चक्र चलता रहता है, शब्द बदलते रहते हैं मगर
मजमून वही रहता है, गौर फरमाएं. जीवन वो जो किसी
के काम आये, चाहे वो पर्यावरण के ही लिए क्यूँ ना हो.

सुनते हैं मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा हुआ मधुर गीत
मुकेश की आवाज़ में जिसका संगीत राहुल देव बर्मन ने
तैयार किया है. राज कपूर इसे परदे पर गा रहे हैं.



गीत के बोल:

तुझे भूल के माटी की पुतली पर
कोई मन की खिड़की खोल रहा
जिसमें तेरा नाम तुले उसमें
जग सोना चाँदी तोल रहा

अपना क्या है हम तो अनजाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
अपना क्या है हम तो अनजाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
जीवन पथ पे निकले दो पल को
हम तो अपने जी को बहलाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
यारा दुनिया कैसी तू जाने

तूने जब दुनिया ये बनाई
धरती की चादर फैलाई
चन्दा सूरज की जोत जलाई
तूने जब दुनिया ये बनाई
धरती की चादर फैलाई
चन्दा सूरज की जोत जलाई
ओ यारा ओ यारा
पर जिसके लिए जग तूने रचा
वो कर के इसे वीरान रहा
धरती की चादर छीन चुका
अब चाँद और सूरज माँग रहा
ये तेरे बन्दों के अफ़साने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
जीवन पथ पे निकले दो पल को
हम तो अपने जी को बहलाने
अपना क्या है हम तो अनजाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने

उल्टी गंगा जो बहे जोगी चुप कैसे रहे
अब देवता कुछ भी नहीं
मानवता कुछ भी नहीं
यारों से यारी गई वो दिलदारी गई
ऐसी छाया तले हम दीवाने भले
कैसा प्यार कहाँ की दोस्ती कैसा रिश्ता नाता
तेरे होते इंसान तेरा शैतान हुआ ओ दाता
पर ये क्यूँ कह रहे हम दीवाने
तेरी दुनिया कैसी तू जाने
जीवन पथ पे निकले दो पल को
हम तो अपने जी को बहलाने
अपना क्या है हम तो अनजाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने

जब दिल में पराया दर्द उठे
दूजे के तू काम आये यारा
सब जान मिला जीवन तुझको
चाँदी सोने से भी प्यारा
वरना धन दौलत चीज़ ही क्या है
कहे मियाँ नज़ीर का इकतारा
सब ठाठ पड़ा रह जायेगा
जब लाद चलेगा बंजारा
काम आयेंगे यही प्यार के नज़राने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
जीवन पथ पे निकले दो पल को
हम तो अपने जी को बहलाने
अपना क्या है हम तो अनजाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
…………………………………………………..
O teri duniya kaisi-Chandi Sona 1977

Artists: Raj Kapoor, Pran

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Dec 1, 2019

तुम्हारी भी जय जय-दीवाना १९६७

जियो और जीने दो वाला सिद्धांत डार्विन की थ्योरी से
थोडा अलग चलता है. आज के समय में इस विचार के
पुनः प्रसार की ज़रूरत है. भौतिकतावादी युग में मानवीय
सम्बन्ध और मूल्य खोते जा रहे है.

समतावादी विचारधारा वाले लोग आपको कम मिलेंगे इस
युग में. सर्वजन सुखाय वाला सिद्धांत तभी सफल हो सकता
है जब आबादी का अधिकाँश तबका आपस में एक दूसरे
का ख्याल रखे. उसकी भैंस मेरी भैंस से बड़ी क्यूँ है, उसके
केक पर एक्स्ट्रा आइसिंग क्यूँ है जैसे विचारों को त्यागना
होगा. संतोष और शांति एक दूसरे से संबद्ध हैं.

शैलेन्द्र का लिखा हुआ गीत सुनते हैं जिसे मुकेश ने गाया
है शंकर जयकिशन की धुन पर. रेलगाड़ी या रेलवे स्टेशन
हिट्स में आप इसे शामिल कर लीजिए पर तनिक ये तो
बताइयेगा ये प्रीतमपुर नाम का स्टेशनवा हमरे देश के
जुगराफ़िया में कहाँ पर है? गीत के अंत में रेलगाड़ी की
छुक छुक और संगीत का बढ़िया मिश्रण है उसका आनंद
उठाना ना भूलियेगा.



गीत के बोल:

तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय
न तुम हारे न हम हारे
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय
न तुम हारे न हम हारे
सफ़र साथ जितना था हो ही गया है
न तुम हारे न हम हारे
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय

याद के फूल को हम तो अपने दिल से रहेंगे लगाये
याद के फूल को हम तो अपने दिल से रहेंगे लगाये
और तुम भी हँस लेना जब ये दीवाना याद आये
मिलेंगे जो फिर से मिला दें सितारे
न तुम हारे न हम हारे
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय

वक़्त कहाँ रुकता है तो फिर तुम कैसे रुक जाते
वक़्त कहाँ रुकता है तो फिर तुम कैसे रुक जाते
आख़िर किसने चाँद को छुआ है हम क्यों हाथ बढ़ाते
जो उस पार हो तुम हम इस किनारे
न तुम हारे न हम हारे
तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय

था तो बहुत कहने को लेकिन अब तो चुप बेहतर है
था तो बहुत कहने को लेकिन अब तो चुप बेहतर है
ये दुनिया है एक सराय जीवन एक सफ़र है
रुका भी है कोई किसी के पुकारे
न तुम हारे न हम हारे
सफ़र साथ जितना था हो ही गया है
न तुम हारे न हम हारे

तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय
…………………………………………………..
Tumhari bhi jai jai-Diwana 1967

Artists: Raj Kapoor, Saira Bano

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Nov 29, 2019

ये मेरा दीवानापन है-यहूदी १९५८

गानों के शुरू में दो चार पंक्तियाँ कहने का ट्रेंड पुराना है.
श्वेत श्याम युग में सी रामचंद्र के संगीत वाले गीतों में
ये काफी देखने को मिलता था. राजेंद्र कृष्ण के लिखे
गानों में ऐसे काफी सारे वाकये हैं.

शंकर जयकिशन के संगीत वाले भी कुछ गीत ऐसे हैं
जिनमें ये फेनोमेना मिल जाता है. शैलेन्द्र का लिखा एक
गीत सुनते हैं फिल्म यहूदी से जिसे मुकेश ने गाया है.
ये सदाबहार लोकप्रिय गीत है और आज भी सुना जाता
है.





गीत के बोल:

दिल से तुझको बेदिली है
मुझको है दिल का गुरूर
तू ये माने के न माने
लोग मानेंगे ज़रूर

ये मेरा दीवानापन है या मोहब्बत का सुरूर
ये मेरा दीवानापन है या मोहब्बत का सुरूर
तू न पहचाने तो है ये तेरी नज़रों का क़सूर
ये मेरा दीवानापन है

दिल को तेरी ही तमन्ना दिल को है तुझसे ही प्यार
दिल को तेरी ही तमन्ना दिल को है तुझसे ही प्यार
चाहे तू आये न आये हम करेंगे इंतज़ार

ये मेरा दीवानापन है या मोहब्बत का सुरूर
तू न पहचाने तो है ये तेरी नज़रों का क़सूर
ये मेरा दीवानापन है

ऐसे वीराने में एक दिन घुट के मर जाएंगे हम
ऐसे वीराने में एक दिन घुट के मर जाएंगे हम
जितना जी चाहे पुकारो फिर नहीं आयेंगे हम

ये मेरा दीवानापन है या मोहब्बत का सुरूर
तू न पहचाने तो है ये तेरी नज़रों का क़सूर
ये मेरा दीवानापन है
ये मेरा दीवानापन है
……………………………………………..
Ye mera deewanapan hai-Yahudi 1958

Artist: Dilip Kumar

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Nov 25, 2019

गोरे गोरे चाँद से मुख पर-अनिता १९६७

फिल्म बेक़सूर के गीत की दो पंक्तियों के साथ एक
और गीत तैयार कर दिया गीतकार मुंशी आरज़ू उर्फ
आरज़ू लखनवी ने सन १९६७ की फिल्म अनिता के
लिए.

फिल्म के निर्देशक ने तीन गीतकार क्यों लिए गीत
लेखन के लिए ये एक कहानी हो सकती है जिस पर
आपको शायद एक दिन मालूम चल ही जाये. अब तो
ये भी मालूम हो चला है किस कलाकार का कुत्ता
किस साबुन से नहाया करता था.

गौरतलब है इस फिल्म में आनंद बक्षी का लिखा एक
ही गीत है. राज खोसला ने राजा मेहँदी अली खान को
ज़रूर गीतकार के तौर पर लिया होगा क्यूंकि उसके
पहले वाली फिल्म जिसमें मदन मोहन का संगीत है,
गीत राजा मेहँदी अली खान के ही हैं. खोसला ने एक
गीत के लिए आरज़ू लखनवी को लिया उसकी वजह
प्रोड्यूसर भी नहीं हो सकता क्यूंकि उस फिल्म के
निर्माता भी वही हैं. हो सकता है किसी फायनेंसर की
फरमाईश पर ऐसा किया गया हो. खैर जो भी हुआ हो
उसका नतीजा उम्दा निकला.




गीत के बोल:

गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
देख के जिनको नीद उड़ जाए वो मतवाली आँखें हैं
गोरे गोरे
मुंह से पल्ला क्या सरकाना
मुंह से पल्ला क्या सरकाना इस बादल में बिजली है
दूर ही रहना
दूर ही रहना इनसे कयामत ढाने वाली आँखें हैं

गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
गोरे गोरे

वे जिनके अंधेर है सब कुछ
वे जिनके अंधेर है सब कुछ ऐसी बात है इनमें क्या
आँखें आँखें आँखें आँखें
आँखें आँखें सब हैं बराबर कौन निराली आँखें हैं

गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
गोर गोरे

बेदेखे आराम नहीं है
बेदेखे आराम नहीं है देखे तो दिल का चैन गया
देखने वाले देखने वाले
देखने वाले देखने वाले यूँ कहते हैं भोली भाली आँखें हैं
देख के जिनको नीद उड़ जाए वो मतवाली आँखें हैं

गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं
गोरे गोरे
………………………………………………………..
Gore gore chand se much par-Anita 1967

Artists: Sadhana, Manoj Kumar

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Nov 12, 2019

मैं हूँ मस्त मदारी-मदारी १९५९

श्वेत श्याम युग से एक मधुर युगल गीत सुनते हैं जो
सन १९५९ की फिल्म मदारी का शीर्षक गीत है. इस
गीत का मदारी मस्त है जैसा कि हमने इस गीत से
समझा.

पंडित मधुर का लिखा गीत है जिसे मुकेश ने गाया है
कल्याणजी आनंदजी की धुन पर.




गीत के बोल:

मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी
बिना तीर दिल घायल कर दूँ ऐसा मैं हूँ शिकारी
बिना तीर दिल घायल कर दूँ ऐसा मैं हूँ शिकारी
हो मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी

खेल-खेल में मेल हो दिल का ऐसा खेल दिखाऊँ
नज़रों की मैं डोर फेंक कर तेरा दिल उलझाऊँ
खेल-खेल में मेल हो दिल का ऐसा खेल दिखाऊँ
नज़रों की मैं डोर फेंक कर तेरा दिल उलझाऊँ
पागल को पागल पहचाने जाने नहीं अनाड़ी

हो मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी
बिना तीर दिल घायल कर दूँ ऐसा मैं हूँ शिकारी
हो मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी

छुपने वाले छुप कर आते छुप कर करें इशारा
लेकिन दर्द छुपाएँ कैसे तीर-ए-नज़र का मारा
छुपने वाले छुप कर आते छुप कर करें इशारा
लेकिन दर्द छुपाएँ कैसे तीर-ए-नज़र का मारा
एक अदा पे हम करते क़र्बान ये दुनिया सारी

मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी
बिना तीर दिल घायल कर दूँ ऐसा मैं हूँ शिकारी
मैं हूँ मस्त मदारी मैं हूँ मस्त मदारी
.......................................................
Main hoon mast madari-Madari 1959

Artist: Ranjan

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Oct 27, 2019

आई आई सावन रुत आई-मेला १९४८

सावन रुत आने वाला एक श्वेत श्याम युग का गीत
सुनते हैं फिल्म मेला से जिसमें नायिका के साथ
सहायक कलाकारों का मेला लगा हुआ है. गीत के
शुरू में उनसे डर के बकरियां इधर उधर भाग रही हैं.

गीत लिखा है शकील बदायूनीं ने और इसकी धुन
तैयार की है नौशाद ने. शमशाद बेगम और मुकेश
ने इसे गाया है. नायक इस गीत में थोडा देर में
प्रकट होता है.

हिंदी फिल्मों के गीतों में कसी किसी गीत में बोल
इतने होते हैं जैसे फिल्म की नायिका बिकिनी पहने
हो तो किसी किसी गीत में लिरिक्स इतनी ज्यादा
होती है जैसे सफर के लिए सूटकेस तैयार किया
गया हो और उसमें मम्मी, पापा, चुन्नू, मुन्नू, गप्पू
और पप्पू सभी के कपडे ठूंस दिए गए हों.
   



गीत के बोल:

आई सावन रुत आई, सजन मोरा डोले है मन
लागी तेरी लगन घर आ जा
हो घर आ जा मोहन घर आ जा
आई सावन रुत आई, सजन मोरा डोले है मन
लागी तेरी लगन घर आ जा
हो घर आ जा मोहन घर आ जा

खेतों-खेतों डग-मग डोले हरियाली मतवारी
हो हरियाली मतवारी
खेतों-खेतों डग-मग डोले हरियाली मतवारी
हो हरियाली मतवारी
ऐसे में ओ प्रीतम प्यार आये याद तिहारी
हो आये याद तिहारी
ऐसे में ओ प्रीतम प्यार आये याद तिहारी
हो आये याद तिहारी
घर आ जा सजन घर आ जा
हो घर आ जा मोहन घर आ जा

आई सावन रुत आई, सजन मोरा डोले है मन
लागी तेरी लगन घर आजा

तोरे बिना मोहे कल नाही आये
कल नाही आये
तोरे बिना मोहे कल नाही आये
कल नाही आये
दिल की लगी तड़पाये हो ओ
दिल की लगी तड़पाये
मस्त पवन चले, मन लहराये
मस्त पवन चले, मन लहराये
आई मिलन रुत हाय
आई मिलन रुत हाय
घर आ जा सजन घर आजा
हो घर आ जा मोहन घर आजा

आई सावन रुत आई सजन मोरा डोले है मन
लागी तेरी लगन घर आ जा

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
खेतों से परबत पर आ कर
खेतों से परबत पर आ कर
जीवन जोत जगा ले
जीवन जोत जगा ले
दुनिया है दो दिन का मेला
कुछ रो ले कुछ गा ले
दुनिया है दो दिन का मेला
कुछ रो ले कुछ गा ले

घर आ जा सजन घर आजा
ओ घर आ जा मोहन घर आ जा
आई सावन रुत आई सजन मोरा डोले है मन
लागी तेरी लगन घर आ जा
................................................................
Aayi sawan rut aayi-Mela 1948

Artists: Nargis, Dilip Kumar, Female extras, few goats

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Oct 23, 2019

रात को जी हाय रात को-आग १९४८

आँख मारने का सिलसिला बहुत पुराना है हिंदी फिल्मों में.
युगल गीत में आँख मारने के ५-६ वाकये हैं फिल्मों में. एक
जीतू श्रीदेवी वाली फिल्म ८० के दशक की और अरशद वारसी
वाली ९० के दशक की फिल्म है.

सुब्ते हैं रोचक गीत मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा हुआ जिसे
मुकेश और शमशाद बेगम ने गाया है. संगीत है राम गांगुली
का.

रात को जो पहला तारा चमक रहा है गीत में वो लैम्प पोस्ट
है. एक हास्य गीत है ये जिसमें नायक नायिका निप्पल चूसने
वाले बच्चे दिखलाई दे रहे हैं. इसको कहते हैं क्रीयेटिविटी.





गीत के बोल:

रात को जी हाय रात को जी चमकें तारें
रात को जी चमकें तारे
देख बलम मोहे अँखियाँ मारे जी मैं मर गई रामा
रात को जी हाय रात को जी चमकें तारे
पहलू में दिल मेरा पाँव पसारे जी मैं का करूँ राम

रात को जी हाय रात को जी बोले पपीहरा
देख बलम मोरा डोले जियरा जी मैं मर गई रामा
रात को जी हाय रात को जी बोले पपीहरा
भेद खोले तेरा-मेरा मेरा-तेरा
हो भेद खोले तेरा-मेरा मेरा-तेरा जी मैं का करूँ राम

रात को जी हाय रात को जी चमके चंदा
जैसे बलम तेरे प्यार का फन्दा जी मैं मर गई रामा
रात को जी हाय रात को जी चमके चन्दा
तेरे बिन पाए नहीं चैन यह बन्दा जी मैं का करूँ रामा

रात को जी हाय रात को जी उड़ते बादल
देख बलम मोरा छोड़ दे आँचल जी मैं मर गई रामा
रात को जी हाय रात को जी उड़ते बादल
साथ हमारे गोरी दूर चल्यो जी मैं का करूँ रामा
……………………………………………………..
Raat ko ji haay-Aag 1948

Artists: Vishwa Mehra, Mohana Cabral

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Sep 24, 2019

मेरा दिल तोड़ने वाले-मेला १९४८

फिल्म संगीत में कई तरह के ड्वेट गीत उपलब्ध हैं-सुखद
दुखद और हास्य रस वाले. कुछ एक प्रेरणादायी युगल गीत
भी हैं. भजन और कव्वालियां भी हैं जिनमें महिला और पुरुष
स्वर साथ साथ होते हैं..

सुनते हैं फिल्म मेला से धीमी गति वाला एक युगल गीत
शमशाद बेगम और मुकेश की आवाजों में. शकील बदायूनीं की
रचना है और नौशाद का संगीत.



गीत के बोल:

मेरा दिल तोड़ने वाले मेरे दिल की दुआ लेना
मिटा कर मेरी दुनिया को नयी दुनिया बसा लेना

मोहब्बत की कसम तुमको लगी दिल की बुझा लेना
हमारी याद जब आये तो दो आंसू बहा लेना

नहीं आता वफाओं से हमें दामन बचा लेना
नहीं आता वफाओं से हमें दामन बचा लेना
हमें दामन बचा लेना
तुम्हीं पर जान दे देंगे किसी दिन आजमा लेना
मेरा दिल तोड़ने वाले मेरे दिल की दुआ लेना

मोहब्बत नाम है गम का खुशी से गम उठा लेना
मोहब्बत नाम है गम का खुशी से गम उठा लेना
खुशी से गम उठा लेना
अगर दिल को ना चैन आये तो कुछ रो रो के गा लेना
मिटा कर मेरी दुनिया को नयी दुनिया बसा लेना
हमारी याद जब आये तो दो आंसू बहा लेना
……………………………………………………
Mera dil todne wale-Mela 1948

Artists: Dilip Kumar, Nargis

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Sep 22, 2019

धरती को आकाश पुकारे १-मेला १९४८

सन १९४८ की रोमांटिक ट्रेजेडी फिल्म मेला से एक गीत
सुनते हैं जो फिल्म में कई बार गूंजा है. इसके भाव दुःख
वाले हैं. फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं-दिलीप कुमार और
नर्गिस.

प्रस्तुत गीत युगल वर्ज़न है जिसे मुकेश और शमशाद बेगम
ने गाया है. शकील बदायूनीं के बोल हैं और नौशाद ने इसकी
धुन तैयार की है.




गीत के बोल:

धरती को आकाश पुकारे
आ जा आ जा प्रेम द्वारे आना ही होगा
इस दुनिया को छोड़ के प्यारे
झूठे बंधन तोड़ के सारे जाना ही होगा

धरती को आकाश पुकारे
आ जा आ जा प्रेम द्वारे आना ही होगा
इस दुनिया को छोड़ के प्यारे
झूठे बंधन तोड़ के सारे जाना ही होगा
…………………………………………………….
Dharti ko aakash pukare-Mela 1948

Artists: Dilip Kumar, Nargis

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Sep 17, 2019

मेरे टूटे हुए दिल से-छलिया १९६०

सुनते हैं फिल्म छलिया से मुकेश का गाया लोकप्रिय
गीत. इसे कमर जलालाबादी ने लिखा है और इसकी
दनु तैयार की है कल्याणजी आनंदजी ने.

अपनी सूची पर गौर फरमाने के बाद मैं ये पाया इस
गीत को बहुत पहले शामिल कर लेना चाहिए था. हम
खा-म-खां रेयर और अनजाने गीतों के चक्कर में पड़
गए और मक्खियाँ उड़ के गुड वाले ब्लॉग पर जा
पहुंची.

दिल ही एक ऐसी चीज़ है इंसान के शरीर में जो पद्य
में टूटती है बिखरती है. दिल की नाज़ुक रगें भी टूट
जाती हैं ऐसा हमने गीतों के माध्यम से समझा. उसके
अलावा वास्तविकता में तो हड्डियां टूटा करती हैं.



गीत के बोल:

मेरे टूटे हुए दिल से कोई तो आज ये पूछे
के तेरा हाल क्या है के तेरा हाल क्या है
मेरे टूटे हुए दिल से

किस्मत तेरी रीत निराली, ओ छलिये को छलने वाली
फूल खिला तो टूटी डाली
जिसे उलफ़त समझ बैठा, मेरी नज़रों का धोखा था
किसी की क्या खता है
मेरे टूटे हुए दिल से

माँगी मुहब्बत पाई जुदाई, दुनिया मुझको रास न आई
पहले कदम पर ठोकर खाई
सदा आज़ाद रहते थे हमें मालूम ही क्या था
मुहब्बत क्या बला है
मेरे टूटे हुए दिल से
………………………………………….
Mere toote hue dil se-Chhalia 1960

Artist: Raj Kapoor

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Sep 15, 2019

मेरी जान कुछ भी कीजिए –छलिया १९६०

मुकेश और लता मंगेशकर का गाया एक युगल गीत.

फिल्म: छलिया
वर्ष: १९६०
गीत: कमर जलालाबादी
संगीत: कल्याणजी आनंदजी



गीत के बोल:

मेरी जान
मेरी जान कुछ भी कीजिये
चाहे जान मेरी लीजिए
पर दिल हमीं को दीजिए
पर दिल हमीं को दीजिए

कभी याद हमें भी कीजिये
कभी नाम हमारा लीजिए
सपनों में आया कीजिये
सपनों में आया कीजिये
…………………………………………..
Mei jaan kuchh bhi kijiye-Chhalia 1960

Artists: Raj Kapoor, Nutan

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Aug 24, 2019

कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे-चार दीवारी १९६१

जिंदगी इस गीत की तरह सरल होती तो कितना अच्छा होता.
वो तो कम्प्यूटर प्रोग्राम के एलगोरिदम की तरह यहाँ वहाँ
भटका देती है. इफ और एंड इफ के बीच ही झूलती रह जाती.
काश कोई फायरवाल जिंदगी के लिए भी बना होता जो फफूंदों
को दूर रखता.

इस गीत की विशेषता इसकी सरलता है. बोल, संगीत, गायकी
सब दिल को छू लेने वाला है. प्रणय की बेला पर ये पार्श्व में
बज रहा है. सिनेमा के माध्यम में यही सहूलियत है-मन की
गाथा को पार्श्व गीत में उड़ेल दो. फिल्म ममता का गीत-छुपा
लो यूँ दिल में प्यार मेरा जिसमें जीवन अपनी यादों समेत
कुछ ही पलों में उड़ता हुआ पूर्वार्ध से उत्तरार्ध को पहुँच जाता है.

भावों के चित्रांकन के लिए कल्पनाशील दिमाग चाहिए तो उसे
समझने के लिए भी उतना नहीं तो कम से कम ७० टका का
भेजा चाहिए. नहीं तो मूंगफली ने बादाम से क्या कहा जैसी
बात हो जाती है.




गीत के बोल:

कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे एकहू नाहीं
कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे एकहू नाहीं
आई मिलन की बेला घबराऊं मन माहीं
कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे एकहू नाहीं
कैसे मनाऊँ पियवा

साजन मेरे आये धडकन बढती जाए
साजन मेरे आये धडकन बढती जाए
नैना झुकते जाएँ घूंघट ढलका जाए
तुझसे ही शरमाये आज तेरी परछाई
कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे एकहू नाहीं
कैसे मनाऊँ पियवा

मैं अनजान पराई द्वार तिहारे आई
मैं अनजान पराई द्वार तिहारे आई
तूने मुझे अपनाया प्रीत की रीत निभाना
हाय रे मन की कलियाँ फिर भी खिल ना पाईं
कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे एकहू नाहीं
कैसे मनाऊँ पियवा
............................................................................
Kaise manaoon piywa-Char diwari 1961

Artists: Shahsi Kapoor, Nanda

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Aug 23, 2019

हमको समझ बैठी है-चार दीवारी १९६१

सिनेमा संगीत को सार्थक बनाने वाला एक और गीत सुनते हैं.
सन १९६१ की शशि कपूर और नंदा अभिनीत चार दीवारी फिल्म
में दुनिया की चाल ढाल पर शैलेन्द्र के गुदगुदाते कटाक्ष को आप
महसूस करिये. क्या ये आज भी प्रासंगिक नहीं है?

तीसरा अंतरा आनंददाई है. ये तो हमारे ऊपर भी लागू होता है.
आँख मूँद के ब्लोगिंग की दुनिया में कूद पड़े और अब भुगत रहे
हैं-उगलते बने ना निगलते बने. अपने आप पर हंसना अगर आपने
नहीं सीखा तो कुछ नहीं सीखा. अरे, इस बहाने आप हंस तो लेते
हैं चाहे फिल्म अर्थ की शबाना आज़मी की तरह ही सही-तुम इतना
क्यूँ मुस्कुरा रहे हो..........

एक कहावत है जो आपको नेट पर नहीं मिलेगी मगर जनता के
बीच लोकप्रिय है-टांगें छत से लगना. इसका सीधा अर्थ तो है-
लुटिया डूब जाना. बाकी के अर्थ-अनर्थ आप समझते रहें.



गीत के बोल:

हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
पर मैं अगर पागल हूँ दुनिया है पागलखाना
पर मैं अगर पागल हूँ दुनिया है पागलखाना
दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना

चाल बेढंगी दुनिया दुरंगी मतलब की अंधी
हमको न पूछे पत्थर पूजे दौलत की बंदी
चाल बेढंगी दुनिया दुरंगी मतलब की अंधी
हमको न पूछे पत्थर पूजे दौलत की बंदी
धोखे में मत आ जाना दुनिया से दिल न लगाना
धोखे में मत आ जाना दुनिया से दिल न लगाना
है बात ये पते की लो कह चला दीवाना
दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना

हम सर के बल तुम सर के बल पैर तले अम्बर
अंधा बांटे खुद को देवे किस्मत का नंबर
हम सर के बल तुम सर के बल पैर तले अम्बर
अंधा बांटे खुद को देवे किस्मत का नंबर
हर शै पे है नजराना चुपचाप देते जाना
हर शै पे है नजराना चुपचाप देते जाना

है बात ये पते की लो कह चला दीवाना
दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना

आँख पे अपनी पट्टी बाँधी भेड़चाल चलना
नदी नाला कुछ मत देखो तुरंत कूद पड़ना
आँख पे अपनी पट्टी बाँधी भेड़चाल चलना
नदी नाला कुछ मत देखो तुरंत कूद पड़ना
सब कुछ रहे अनजाना मत सोचना समझाना
है बात ये पते की लो कह चला दीवाना
दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
पर मैं अगर पागल हूँ दुनिया है पागलखाना
दीवाना दीवाना
हमको समझ बैठी है ये दुनिया दीवाना दीवाना
.....................................................................
Hamo samajh baithi hai ye duniya deewana-Char diwari 1961

Artist: Shashi Kapoor

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Aug 19, 2019

बहारों से पूछो-मेरा घर मेरे बच्चे १९६०

पूछो शब्द मुखड़े में आता है ऐसे दो गीत मुझे ध्यान हैं एक तो
यही जो आज आपको सुनवा रहा हूँ और दूसरा सलमान की फिल्म
कुर्बान का-दीवानों से पूछो. याद तो और भी हैं मगर सबसे ज्यादा
यही दो ध्यान आते हैं.

मेरा घर मेरे बच्चे का गीत एक भाई साहब यूँ गुनगुनाते थे-बहारों
से पूछो दे विल टेल यू. आगे की लाइनें ब्ला ब्ला ब्ला. इस वजह से
याद हो गया और फिल्म कुर्बान के गीत में हमने ही फिट कर दिया-
दे विल टेल यू उन भाई साहब के स्मरण में. ऐसे दिमागी स्फुरण
स्वतः होते हैं और संगीत प्रेमियों के दिमाग में ज़रूर होते हैं मगर ऐसे
दिमागी स्फुरण सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित होते आपने केवल मिमिक्री
शो वगैरह में देखा होगा.

गीत की बात करें जिसे मुकेश संग सुमन कल्याणपुर ने गाया है.
गीत में आपको सुबिराज और नाज़ की जोड़ी दिखलाई देगी जो असल
जीवन में भी जोड़ी है. सुबीरज पर फिल्माया एक गीत आपको हमने
सुनवाया था कुछ दिन पहले. हसरत जैपुरी के लिखे गीत पर एक
निहायत रूमानी तर्ज़ बनाई है सरदार मलिक ने. गीत की गति कम
है मगर निरंतरता शानदार है इसकी.



गीत के बोल:

बहारों से पूछो मेरे प्यार को तुम
तुम्हारे तराने हम गा रहे हैं
नजारों से पूछो मेरे प्यार को तुम
तुम्हारे लिए हम जिए जा रहे हैं
बहारों से पूछो

कभी मैं पपीहा तुम्हारे लिए हूँ
कभी मैं चकोर तुम्हारे लिए हूँ
अजी मैं भी कोयल तुम्हारे लिए हूँ
मोहब्बत में पागल तुम्हारे लिए हूँ
मेरे प्यार ने ही दिया रूप तुमको
ये गुंचे तुम्हारे जो नज़र आ रहे हैं
नजारों से पूछो

अगर जान तुम हो तो हम भी तो दिल हैं
भरे हैं हज़ारों मोहब्बत के अरमान
अगर तुम हो सागर तो मैं भी हूँ नदिया
है दोनों दिलों में मोहब्बत के तूफ़ान
मेरे प्यार का कोई किनारा नहीं है
तेरे प्यार में हम बहे जा रहे हैं
बहारों से पूछो

ये उड़ती घटायें मस्ती लुटाएं
जैसे तुम्हारी शराबी निगाहें
ये ठंडी हवा भरती है आहें
समझो इन्हें तुम हमारी सदाएं
फिजाओं में देखो ये बादल नहीं है
ये आँचल तुम्हारा लहरा रहा है

बहारों से पूछो मेरे प्यार को तुम
तुम्हारे तराने हम गा रहे हैं
नजारों से पूछो मेरे प्यार को तुम
तुम्हारे लिए हम जिए जा रहे हैं
बहारों से पूछो
.................................................................................
Baharon se poochho-Mera ghar mere bachche 1960

Artists: Subiraj, Naaz

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