चाँदनी रातें-दुपट्टा १९५२
दाद देने को जी करता है. नूरजहाँ का एक गीत है फिल्म दुपट्टा से
जो सन १९५२ की फिल्म है. मुशीर काज़मी एक लिखे बोलों को धुन
पहनाई है फिरोज़ निज़ामी ने.
इसी गीत को आपने सन १९९९ के आसपास सुना होगा इंडीपॉप के
रूप में. बाली सागू ने इसे तैयार किया था और शमसा कँवल ने
गाया था. मूल धुन और संगीत संयोजन में ज्यादा अंतर नहीं था.
समय के हिसाब से नया संस्करण बढ़िया बना था और ये काफी
लोकप्रिय हुआ.
नूरजहाँ के गाये गीत में बोलों के हिसाब से जो भाव हैं वो नए
वर्ज़न से गायब हैं. मूल धुन आकर्षक है इसलिए इसपर आधारित
कितने भी गीत आप बना लो सुनने में अच्छे लगेंगे.
गीत के बोल:
एक टीस जिगर में उठती है
इक दर्द सा दिल में होता है
हम रातों को उठ कर रोते हैं
जब सारा आलम सोता है
ओ ओ ओ चाँदनी चाँदनी रातें
सब जग सोये हम जागें
तारों से करें बातें
चाँदनी रातें चाँदनी रातें
तकते तकते छूटी जाये
आस पिया न आये रे
तकते तकते
शाम सवेरे दर्द अनोखे
उठें जिया घबराये रे
शाम सवेरे
रातों ने मेरी नींद लूट ली
रातों ने मेरी नींद लूट ली
दिल के चैन चुराये
दिल के चैन चुराये
दुखिया आँखें ढूँढ रही हैं
वही प्यार की घातें
चाँदनी रातें हो ओ चाँदनी रातें
सब जग सोय हम जागे
तारों से करें बातें
चाँदनी रातें हो ओ ओ चाँदनी रातें
पिछली रात में हम उठ उठ कर
चुपके चुपके रोये रे पिछली रात में
पिछली रात में हम उठ उठ कर
चुपके चुपके रोये रे पिछली रात में
चुपके नींद में मीत हमारे
देश पराये सोये रे चुपके नींद में
दिल की धड़कनें तुझे पुकारें
दिल की धड़कनें तुझे पुकारें
आ जा बालम आई बहारें
आ जा बालम आई बहारें
बैठ के तनहाई में कर ले
सुख-दुख की दो बातें
चाँदनी रातें हो ओ ओ चाँदनी रातें
सब जग सोये हम जागें
तारों से करे बातें
चाँदनी रातें हो ओ ओ चाँदनी रातें
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Chandni ratein-Dupatta 1952
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