रुख से ज़रा नक़ाब उठा दो-मेरे हुज़ूर १९६८
लोकप्रिय रोमांटिक गीत सुनते हैं. रफ़ी ने इसे गाया है
और धुन है शंकर जयकिशन की.
रोमांस की अगर बात की जाए तो शंकर जयकिशन और
ओ पी नैयर के संगीत निर्देशन में रफ़ी के गाये गीत सुन
लीजिए आपको आइडिया लगाने के लिए किसी दूसरे
संगीतकारों के नगमों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. वैसे तो सभी
ने रफ़ी के लिए अच्छे अच्छे गीत बनाये हैं मगर जो
रोमांस और प्रेम गीतों की वैराइटी और रेंज इन दोनों के
संगीत में है वो आपको शायद इतनी तादाद में दूसरे
संगीतकारों के संगीत में ना मिले.
गीत फिल्माया गया है जीतेंद्र और माला सिन्हा पर. गीत
ट्रेन के डब्बे में फिल्माया गया है अतः इसे आप ट्रेन हिट
कह सकते हैं. माला सिन्हा की एक्टिंग बढ़िया है गीत में.
ज़रूरी नहीं जो परदे पर गीत गा रहा हो उसका अभिनय
भी उल्लेखनीय हो.
गीत के बोल:
अपने रुख पर निगाह करने दो
खूबसूरत गुनाह करने दो
रुख से पर्दा हटाओ जान-ए-हया
आज दिल को तबाह करने दो
रुख से ज़रा नक़ाब उठा दो मेरे हुज़ूर
रुख से ज़रा नक़ाब उठा दो मेरे हुज़ूर
जलवा फिर एक बार दिखा दो मेरे हुज़ूर
वो मरमरी से हाथ वो महका हुआ बदन
वो मरमरी से हाथ वो महका हुआ बदन
टकराया मेरे दिल से मुहब्बत का एक चमन
मेरे भी दिल का फूल खिला दो मेरे हुज़ूर
रुख से ज़रा नक़ाब उठा दो मेरे हुज़ूर
जलवा फिर एक बार दिखा दो मेरे हुज़ूर
हुस्न-ओ-जमाल आपका शीशे में देख कर
हुस्न-ओ-जमाल आपका शीशे में देख कर
मदहोष हो चुका हूँ मैं जलवों की राह पर
गर हो सके तो होश में ला दो मेरे हुज़ूर
रुख से ज़रा नक़ाब उठा दो मेरे हुज़ूर
जलवा फिर एक बार दिखा दो मेरे हुज़ूर
तुम हमसफ़र मिले हो मुझे इस हयात में
तुम हमसफ़र मिले हो मुझे इस हयात में
मिल जाए जैसे चाँद कोई सूनी रात में
जाओगे तुम कहाँ ये बता दो मेरे हुज़ूर
रुख से ज़रा नक़ाब उठा दो मेरे हुज़ूर
जलवा फिर एक बार दिखा दो मेरे हुज़ूर
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Rukh se zara naqab utha do-Mere huzur 1968
Artists: Jeetendra, Mala Sinha
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