मैं कभी बतलाता…माँ-तारे ज़मीन पर २००७
लोकप्रिय रही. रूटीन की प्यार मोहब्बत वाली या ढिशुम ढिशुम वाली फिल्मों
से बिलकुल अलग. कोई भी सफल हिंदी फिल्म की कहानी बिना फ़िल्मी
मसालों के पूरी नहीं होती, इस फिल्म में भी हैं मगर थोड़े कम. गाने ही
अपने आप में बहुत बड़ा मसाला अवयव हैं फिल्म का.
फिल्म से एक गीत सुनते हैं शंकर महादेवन का गाया हुआ जिसमें माँ को
याद किया गया है. बच्चों के लिए सब कुछ उनकी माँ होती है. संकटमोचक
कहें या ममता की मूर्ति. किसी भी रूप में वो केवल आपका हित ही चाहेगी.
इसलिए बच्चे अपनी व्यथा अपनी माँ से ही कहा करते हैं. गीत प्रसून जोशी
ने लिखा है और इसकी धुन बनाई है संगीतकार तिकड़ी शंकर एहसान लॉय
ने.
गीत के बोल:
मैं कभी बतलाता नहीं
पर अंधेरे से डरता हूँ मैं माँ
यूँ तो मैं दिखलाता नहीं
तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब है पता है ना माँ
तुझे सब है पता मेरी माँ
भीड़ में यूँ ना छोड़ो मुझे
घर लौट के भी आ ना पाऊँ माँ
भेजना इतना दूर मुझको तू
याद भी तुझको आ ना पाऊँ माँ
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ
क्या इतना बुरा मेरी माँ
जब भी कभी पापा मुझे जो ज़ोर से
झूला झुलाते हैं माँ
मेरी नज़र ढूँढे तुझे
सोचूं यहीं तू आ के थामेगी माँ
उनसे मैं ये कहता नहीं
पर मैं सहम जाता हूँ माँ
चेहरे पे आने देता नहीं
दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ
तुझे सब है पता है ना माँ
तुझे सब है पता मेरी माँ
ओ मैं कभी बतलता नहीं
पर अंधेरे से डरता हूँ मैं माँ
यूँ तो मैं दिखलाता नहीं
तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब है पता है ना माँ
तुझे सब है पता मेरी माँ
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Main kabhi batlata nahin-Taare zameen par 2007
Artists: Darsheel Safary
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