ज़रा सुन तो ले हसीना-सुन तो ले हसीना १९५८
पंक्ति हो. सुन तो ले हसीना फिल्म का नाम है जो शायद
उस समय के हिसाब से लंबा नाम था. हसीना पूरी कहानी
में सुन नहीं रही है तो फिल्म का नाम ही ऐसा रख दिया
गया. वैसे तो फ़िल्मी हसीनाएं ज़ल्द सुनती हैं और ३ मिनट
के गाने के तीसरे मिनट के खत्म होने के चंद सेकण्ड शेष
रहने पे अच्छे से सुनना शुरू कर देती हैं.
ये गीत लिखा है सरशर सैलानी ने और इसकी धुन बनाई है
एस मोहिंदर ने. आशा और रफ़ी इस गीत को गा रहे हैं.
गीत के बोल:
ज़रा सुन तो ले
ओ ज़रा सुन तो ले हसीना
ओ ज़रा सुन तो ले हसीना
अरे तेरा पीछा करते करते
हो गया एक महीना
ओ ज़रा सुन तो
ओ ज़रा सुन तो ले हसीना
ओ पीछा छोड़ मेरा
पीछा छोड़ तू अल्लादीना
पीछा छोड़ तू अल्लादीना
कोतवाल से कह के कर दूं
मुश्किल तेरा जीना
ओ पीछा छोड़ मेरा
पीछा छोड़ तू अल्लादीना
मांगी थी खजूर खुदा से ओ ओ ओ ओ
मांगी थी खजूर खुदा से
मिल गयी हमको एक हूर
हूर के पीछे पड़ा हुआ है कबसे एक लंगूर
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Zara sun to le haseena-Sun to le haseena 1958
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