कभी दुर्गा बन के-माता भजन
पर सुनते हैं एक माता भजन. इसे तृप्ति शाक्य ने
गाया है.
गीत के बोल:
कभी दुर्गा बन के कभी काली बन के
कभी दुर्गा बन के कभी काली बन के
चली आना मैया जी चली आना
चली आना मैया जी चली आना
कभी दुर्गा बन के कभी काली बन के
चली आना मैया जी चली आना
तुम ब्रह्मचारिणी रूप में आना
तुम ब्रह्मचारिणी रूप में आना
भक्ति हाथ ले के शक्ति साथ ले के
चली आना मैया जी चली आना
कभी दुर्गा बन के कभी काली बन के
चली आना मैया जी चली आना
तुम दुर्गा रूप में आना
तुम दुर्गा रूप में आना
तुम दुर्गा रूप में आना
तुम दुर्गा रूप में आना
सिंह साथ ले के चक्र हाथ ले के
चली आना मैया जी चली आना
कभी दुर्गा बन के कभी काली बन के
चली आना मैया जी चली आना
तुम काली रूप में आना
तुम काली रूप में आना
तुम काली रूप में आना
तुम काली रूप में आना
खप्पर हाथ ले के योगिन साथ ले के
चली आना मैया जी चली आना
कभी दुर्गा बन के कभी काली बन के
चली आना मैया जी चली आना
तुम शीतला रूप में आना
तुम शीतला रूप में आना
तुम शीतला रूप में आना
तुम शीतला रूप में आना
झाड़ू हाथ ले के गधा साथ ले के
चली आना मैया जी चली आना
कभी दुर्गा बन के कभी काली बन के
चली आना मैया जी चली आना
तुम गौरा के रूप में आना
तुम गौरा के रूप में आना
तुम गौरा के रूप में आना
तुम गौरा के रूप में आना
माला हाथ ले के गणपति साथ ले के
चली आना मैया जी चली आना
कभी दुर्गा बन के कभी काली बन के
चली आना मैया जी चली आना
कभी दुर्गा बन के कभी काली बन के
चली आना मैया जी चली आना
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Kabhi Durga ban ke-Mata Bhajan
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