ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ(लता)-लव इन टोक्यो १९६६
मेल शब्द हो इसमें. बाकी के सूखे मेव के मेल फीमेल हमें
नहीं मालूम.
हसरत जयपुरी के लिखे गीत इस गीत के दो तर्जुमे हैं. एक
लता का गाया हुआ और एक रफ़ी का. रफ़ी का गाया वर्ज़न
ज्यादा लोकप्रिय है. आज मगर हम आपको लता का गाया
गीत सुनवायेंगे. इस वर्ज़न में शाह-ए-मर्दाना होता तो शायद
सटीक होता.
गीत के बोल:
ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ ओ मेरी जान-ए-जनाना
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ ओ मेरी जान-ए-जनाना
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
कब खयालों की धूप ढलती है
हर क़दम पर शमा सी जलती है
मेरा साया जिधर भी जाता है
तेरी तसवीर साथ चलती है
ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ ओ मेरी जान-ए-जनाना
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
तुम हो सहरा में तुम गुलिस्ताँ में
तुम हो ज़र्रों में तुम बियाबां में
मैंने तुमको कहाँ कहाँ देखा
छुप के रहते हो तुम रग-ए-जाँ में
ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ ओ मेरी जान-ए-जनाना
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
…………………………………………………………
O mere shah-e-khuban-Love in Tokyo 1966
Artist: Asha Parekh
0 comments:
Post a Comment