May 24, 2017

दर्द मिन्नतकश-ए-दवा न हुआ-बेगम अख्तर

बेगम अख्तर की गोल्डन वोइस में एक ग़ज़ल सुनते हैं.
मिर्ज़ा ग़ालिब की लिखी ग़ज़लें बहुतों ने गई हैं मगर
कुछ एक की आवाजों में ही वो ज्यादा अच्छी सुनाई
देती हैं.




ग़ज़ल के बोल:

दर्द मिन्नतकश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ

क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी
बंदगी में मेरा भला न हुआ

हम कहाँ क़िस्मत आज़माने जाएँ
जब तू ही ख़ंजर-आज़मा न हुआ

जमा करते हो क्यूँ रक़ीबों को
इक तमाशा हुआ गिला न हुआ

कुछ तो कहिये कि लोग कहते हैं
आज 'ग़ालिब’ ग़ज़लसरा न हुआ
………………………………………………
Dard minnatkash-e-dawa-Begum Akhtar Ghazal

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