May 4, 2017

गरचे सौ बार ग़म-ए-हिज्र-मेहँदी हसन गज़ल

मेहँदी हसन की गाई एक गज़ल सुनते हैं. विवरण आपको नेट
पर मिल जायेगा.



गज़ल के बोल:

गरचे सौ बार ग़म-ए-हिज्र से जाँ गुज़री है
फिर भी जो दिल पे गुज़रनी थी कहाँ गुज़री है

आप ठहरे हैं तो ठहरा है निज़ाम-ए-आलम
आप गुज़रे हैं तो इक मौज-ए-रवाँ गुज़री है

होश में आये तो बतलाये तेरा दीवाना
दिन गुज़ारा है कहाँ रात कहाँ गुज़री है
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Garche sau baar-Mehndi Hasan Ghazal

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