गरचे सौ बार ग़म-ए-हिज्र-मेहँदी हसन गज़ल
पर मिल जायेगा.
गज़ल के बोल:
गरचे सौ बार ग़म-ए-हिज्र से जाँ गुज़री है
फिर भी जो दिल पे गुज़रनी थी कहाँ गुज़री है
आप ठहरे हैं तो ठहरा है निज़ाम-ए-आलम
आप गुज़रे हैं तो इक मौज-ए-रवाँ गुज़री है
होश में आये तो बतलाये तेरा दीवाना
दिन गुज़ारा है कहाँ रात कहाँ गुज़री है
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Garche sau baar-Mehndi Hasan Ghazal
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