एक समय पर दो बरसातें-झूला १९६२
नायब रत्न छुपे हुए हैं. सलिल चौधरी एक विलक्षण संगीतकार
थे. उनकी हर रचना ज़रूरी नहीं आम जनता को भाये ही. एक
रचनाकार की रचना को पूर्ण रूप से समझने के लिए वैसा ही
दिमाग और सोच भी चाहिए जो संभव नहीं हर श्रोता के पास
उपलब्ध हो. काफी हद तक लता मंगेशकर और मन्ना डे के
गीतों में आपको वो सब सुनाई देगा जो सलिल के अलग हट
के और उपजाऊ दिमाग ने सोचा होगा.
संगीतकार का दिमाग कई बार ऐसी चीज़ें सोच लेता है जो
गायक के वोकल कोर्ड्स की क्षमताओं से परे होता है. गायक
वही गाता है जो संगीतकार उससे गाने को कहता है. इसमें
इम्प्रोवाइजेशन की गुंजाइश नहीं के बराबर होती है. सुनने वाला
हमेशा यही कहता है-वाह क्या गाया है. कभी आपने सुना है–
वाह क्या गवाया है? नहीं.
आपको फिल्म झूला से एक उत्कृष्ट गीत सुनवाते हैं मन्ना डे
की आवाज़ में. अमूमन बरसात में रोमांटिक गीत ही ज्यादा
फिल्माए जाते हैं फिल्मों में, उस लिहाज़ से ये अनूठा गीत
है. राजेंद्र कृष्ण की कलम से निकला ये गीत थोडा गंभीर
किस्म का है.
गीत के बोल:
एक समय पर दो बरसातें
एक समय पर दो बरसातें
बादल के संग आँख भी बरसे
चारों ओर है जल-थल जल-थल
चारों ओर है जल-थल जल-थल
फिर भी प्यासा मनवा तरसे
एक समय पर दो बरसातें
उमड-घुमड जब छायीं घटायें
नीर बरसेगा सबने जाना
उमड-घुमड जब छायीं घटायें
नीर बरसेगा सबने जाना
कोई न जाने दिल में तूफ़ाँ
कब आ जाये और किधर से
एक समय पर दो बरसातें
आग लगी है दिल में लेकिन
देख रहा है आँख का पानी
आग लगी है दिल में लेकिन
देख रहा है आँख का पानी
शोलों के संग बहती नदिया
निकल रही है एक ही घर से
एक समय पर दो बरसातें
बादल के संग आँख भी बरसे
चारों ओर है जल-थल जल-थल
फिर भी प्यासा मनवा तरसे
एक समय पर दो बरसातें
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Ek samay par do barsatein-Jhoola 1962
Artists: Sunil Dutt, vaijayantimala, Sulochana Latkar
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