कांटों की चुभन पाई-चित्रा सिंह ग़ज़ल
जगजीत सिंह का. बोल सुरिंदर मलिक के हैं.
बोल:
कांटों की चुभन पाई फूलों का मज़ा भी
दिल दर्द के मौसम में रोया भी हँसा भी
आने का सबब याद न जाने की खबर है
वो दिल में रहा और उसे तोड़ गया भी
हर एक से मंज़िल का पता पूछ रहा है
गुमराह मेरे साथ हुअ रहनुमा भी
गुमनाम कभी अपनो से जो ग़म हुए हासिल
कुछ याद रहे उन में तो कुछ भूल गया भी
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Kaanton ki chubhan payi-Chitra Singh
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