Jun 13, 2017

स्ट्राबेरी आँखें सोचती क्या हैं-सपने १९९७

९० के दशक की एक फिल्म से गीत सुनते हैं आज.
गीत थोडा अलग-हट-के है. इस अलग-हट-के से
मुझे याद आया कोई फिल्म इस जुमले पर अभी
तक नहीं बनी है.

खाने पीने की चीज़ों से मानव शरीर के अंगों की
तुलना कोई नयी बात नहीं है. कई गीतों में तो
जानवरों से भी तुलना कर दी गई है अंगों की.

सृजन शब्द का अर्थ जो है वो सभी चीज़ों के लिए
समान ही है चाहे ओ कोई वस्तु हो या फ़िल्मी गीत.
आज आपको सृजन कला का एक उत्कृष्ट नमूना
सुनवाते हैं फिल्म सपने से. डार्विन की थ्योरी अनुसार
मानव के पूर्वज बन्दर थे, उन्हें इस गीत में याद
कर लिया गया है. गीत के के और कविता पौडवाल
ने गाया है. फन सोंग है अतः इसमें ज्यादा दिमाग
और लोजिक लगाने की गुंजाईश नहीं है.



गीत के बोल:

स्ट्राबेरी आँखें सोचती क्या हैं
लड़की तुम हो महलों में हो पली
वो आइस क्रीम हो जो है फ्रिज में रखी
तुमने जो भी कहा वो हमेशा हुआ
तुम्हें हर चीज़ मिली मरसिडीज़ मिली
फिर भी आँखों में है कोई ग़म क्यों छुपा
फिर भी तुम खुश नहीं बोलो है बात क्या

ऐ नो रिएक्शन
वोल्यूम डबल करूं
स्ट्राबेरी आँखें सोचती क्या हैं
लड़की तुम हो महलों में हो पली
वो आइस क्रीम हो जो है फ्रिज में रखी
तुमने जो भी कहा वो हमेशा हुआ
तुम्हें हर चीज़ मिली मरसिडीज़ मिली
फिर भी आँखों में है कोई ग़म क्यों छुपा
फिर भी तुम खुश नहीं बोलो है बात क्या

तुम दिल की हर इक बात पे क्यों इतनी हो बेज़ार
तुम प्यार के सब ख़्वाबों को भी कहती हो बेकार
पगली कहीं हो तो नहीं
लाऊँ मैं क्या कोई दवा

कोई पगली वगली नहीं मैं सुनो
दवा मुझको न दो इलाज अपना करो
मेरे दादा परदादा भी पागल न थे
न कोई पागलपन मुझमे है
पाऊँ कैसे खुशी अपने ही प्यार में
जब के है दुःख भरा सारे संसार में
मुझको ऐसी खुशी से नहीं वास्ता
मेरा तो है अलग रास्ता
प्यार सबसे करें
है ये सपना मेरा
जो भी दुनिया में है
हो वो अपना मेरा
थाम जो हाथ में
वो बने हथकड़ी
शादी क्यों मैं करूं
क्या मुझे है पड़ी

ऐ शादी नहीं करेगी तो कुछ और
ट्राई करना पड़ेगा
रूट चेंज

आँखों में हैं हीरे चमकते
चेहरे पर हैं चाँद दमकते
गालों में हैं फूल महकते
होंठों में हैं कलियाँ गुलाबी
दिल को बना दें जैसे शराबी
नाक थोड़ी ओवरसाइज़ है मैडम
कोई बात नहीं प्लास्टिक सर्जरी करा देंगे

ऐ दाढ़ी वाले इधर आ
सुबह उठ कर आईने में
कभी अपना चेहरा देखा है
हाँ देखा है
क्या देखा
मेरा हैंडसम चेहरा
नहीं ज़ू से निकला हुआ एक बन्दर

मेरी तो नाक जैसी है तू अपना सर दिखा
लगता है तेरे सर में है भूसा भरा हुआ
किसे पता किसे खबर तू आदमी है के बन्दर
…………………………………………….
Strawberry aankhen-Sapnay 1997

Artists: Prabhu Deva, Kajol, Arvind Swamy

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