सुहानी रात ढल चुकी–दुलारी १९४९
सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे. फिल्म में
सभी तरह के गीत हैं, तेज गति वाले, धीमी गति वाले. ये
मध्यम से थोडा सा ही कम गति वाला गीत है.
समय गुज़रता चला और कब गीत कालजयी गीतों में शामिल
हो गया पता ही नहीं चला. शकील बदायूनीं ने इसे लिखा है
और नौशाद की धुन है.
गीत के बोल:
सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे
सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे
जहां की रुत बदल चुकी ना जाने तुम कब आओगे
नज़ारे अपनी मस्तियाँ दिखा दिखा के खो गये
सितारे अपनी रोशनी लुटा लुटा के सो गये
हर एक शम्मा जल चुकी ना जाने तुम कब आओगे
सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे
तड़प रहे हैं हम यहाँ तुम्हारे इंतज़ार में
तुम्हारे इंतज़ार में
खिजां का रंग आ चला है मौसम-ए-बहार में
खिजां का रंग आ चला है मौसम-ए-बहार में
मौसम-ए-बहार में
हवा भी रुख बदल चुकी ना जाने तुम कब आओगे
सुहानी रात ढल चुकी ना जाने तुम कब आओगे
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Suhani raat dhal chuki-Dulari 1949
Artist: Suresh, Madhubala,
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