एक दिल दो हैं तलबगार-दरवाजा १९५४
युगल गीत गीत सुनते हैं पुरानी फिल्म दरवाजा से.
खुमार बाराबंक्वी के बोल हैं और नाशाद का संगीत.
गीत के बोल:
एक दिल दो हैं तलबगार बड़ी मुश्किल है
कशमकश में है मेरा प्यार बड़ी मुश्किल है
ढूँढती हैं तुझे हरसू मेरी प्यासी आँखें
कैसे हो अब तेरा दीदार बड़ी मुश्किल है
दिल में जो कुछ है ज़बां पर नहीं लाया जाता
घुट के दम तोड़ न दे प्यार बड़ी मुश्किल है
सामने है मेरे अरमानों की मंज़िल लेकिन
सामने है मेरे अरमानों की मंज़िल लेकिन
मुफ़लिसी बन गई दीवार बड़ी मुश्किल है
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Ek dil do hain talabgar-Darwaza 1954
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