एक ज़रा दिल के करीब आओ-शोभा गुर्टू
बोल लिखे हैं गणेश बिहारी ‘तर्ज़’ ने.
गज़ल में दो नामचीन शायरों को याद किया गया है
दाग़ देहलवी और मीर तकी मीर.
गीत के बोल:
एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े
जाम को जाम से टकराओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े
जाम को जाम से टकराओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब
दिल उलझता है बहुत नग़मा-ए-रंगीन सुन कर
दिल उलझता है बहुत नग़मा-ए-रंगीन सुन कर
गीत एक दर्द भरा गाओ तो कुछ चैन पड़े
गीत एक दर्द भरा गाओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े
जाम को जाम से टकराओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब
बैठे बैठे तो हर एक मौज से दिल दहलेगा
बैठे बैठे तो हर एक मौज से दिल दहलेगा
बढ़ के तूफ़ानों से टकराओ तो कुछ चैन पड़े
बढ़ के तूफ़ानों से टकराओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े
जाम को जाम से टकराओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब
दाग़ के शेर जवानी में भले लगते हैं
दाग़ के शेर जवानी में भले लगते हैं
मीर की कोई ग़ज़ल गाओ तो कुछ चैन पड़े
मीर की कोई ग़ज़ल गाओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े
जाम को जाम से टकराओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब
याद-ए-अय्या में गुज़िश्तां से इजाज़त लेकर
याद-ए-अय्या में गुज़िश्तां से इजाज़त लेकर
'तर्ज़' कुछ देर को सो जाओ तो कुछ चैन पड़े
'तर्ज़' कुछ देर को सो जाओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े
जाम को जाम से टकराओ तो कुछ चैन पड़े
एक ज़रा दिल के करीब
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Ek zara dil ke kareeb aao-Shobha Gurtu Ghazal
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