जमे रहो-तारे ज़मीन पर २००७
का सार है जमे रहो चाहे कुल्फी की तरह या अंगद के पांव
की तरह. समय परिस्थिति कैसी भी ही जमे रहना तभी
संभव हो पाता है जब आप शांत हों, मन एकाग्र हो और कोई
भी तत्व आपको विचलित ना कर पाए ऐसी दृढ़ इच्छाशक्ति हो.
एक छोटे बच्चे से इन सब बातों की अपेक्षा करना कुछ ज्यादा
हो जायेगा.
गीत में सन्देश है जो प्रेरणा देता है. ये गीत विशाल ददलानी
ने गाया है. जावेद अख्तर के बोल हैं और शंकर एहसान लॉय
का संगीत.
गीत के बोल:
कस के जूता कस के बेल्ट
खोंस के अन्दर अपनी शर्ट
मंजिल को चली सवारी
कंधों पे ज़िम्मेदारी
हाथ मे फाईल मन मे दम
मीलों-मील चलेगे हम
हर मुश्किल से टकरायेगे
टस से मस न होगे हम
दुनिया का नारा जमे रहो
मंजिल का इशारा जमे रहो
दुनिया का नारा जमे रहो
मंजिल का इशारा जमे रहो
ये सोते भी है अटेंशन
आगे रहने की है टेंशन
मेहनत इनको प्यारी है
एकदम आज्ञाकारी हैं
ये ऑमलेट पर ही जीते है
ये टॉनिक सारे पीते है
वक़्त पे सोते वक़्त पे खाते
तान के सीना बढ़ते जाते
दुनिया का नारा जमे रहो
मंजिल का इशारा जमे रहो
दुनिया का नारा जमे रहो
मंजिल का इशारा जमे रहो
यहां अलग अंदाज़ है
जैसे चिडता कोई साज़ है
हर काम को ताला करते है
ये सपने पाला करते है
ये हरदम सोचा करते है
ये खुद से पूछा करते है
दुनिया का नारा जमे रहो
मंजिल का इशारा जमे रहो
दुनिया का नारा जमे रहो
मंजिल का इशारा जमे रहो
ये वक़्त के कभी गुलाम नही
इन्हें किसी बात का ध्यान नही
तितली से मिलने जाते है
ये पेड़ों से बतियाते है
ये हवा बटोरा करते है
बारिश की बूंदे पढ़ते है
और आसमान के कैनवास पे
ये कलाकारिया करते है
क्यूँ दुनिया का नारा जमे रहो
क्यूँ मंजिल का इशारा जमे रहो
क्यूँ दुनिया का नारा जमे रहो
क्यूँ मंजिल का इशारा जमे रहो
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Jame raho-Taare zameen par 2007
Artists: Aamir Khan, Darsheel Safari
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