Jul 4, 2017

ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ-लव इन टोक्यो १९६६

लव इन टोक्यो से सुनते हैं रफ़ी का गाया एक गीत. इस
गीत का लता वाला वर्ज़न आप पहले सुन चुके हैं.

हसरत जयपुरी के लिखे गीत इस गीत की तर्ज़ बनाई है
शंकर जयकिशन ने.



गीत के बोल:

ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ ओ मेरी जान-ए-जनाना
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ ओ मेरी जान-ए-जनाना
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता

कब खयालों की धूप ढलती है
हर क़दम पर शमा सी जलती है
मेरा साया जिधर भी जाता है
तेरी तसवीर साथ चलती है
ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ ओ मेरी जान-ए-जनाना
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता

तुम हो सहरा में तुम गुलिस्ताँ में
तुम हो ज़र्रों में तुम बियाबां में
मैंने तुमको कहाँ-कहाँ देखा
छुपके रहते हो तुम रग-ए-जाँ में
ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ ओ मेरी जान-ए-जनाना
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता

मेरी आँखों की जुस्तजू तुम हो
इल्तजा तुम हो आरज़ू तुम हो
मैं किसी और को तो क्या जानूं
मेरी उल्फ़त की आबरू तुम हो
ओ मेरे शाह-ए-खूबाँ ओ मेरी जान-ए-जनाना
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
तुम मेरे पास होते हो कोई दूसरा नहीं होता
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O mere shah-e-khuban(Rafi)-Love in Tokyo 1966

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