Jul 3, 2017

संदेसे आते हैं-बॉर्डर १९९८

सन १९९८ की फिल्म बॉर्डर युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी एक
फिल्म है जिसका निर्माण जे पी दत्ता ने किया था. इसके
कुछ गीत काफी पसंद किये जनता ने.

एक गीतकार की वर्सेटिलिटी इसी से पता चलती है कि वो
सभी प्रकार के प्रभावी गीत लिखने में सक्षम हो. त्योहारों
वाले गीत हों या किसी विशेष अवसर वाले, सभी में उसकी
दक्षता अपेक्षित होती है. इस गीत की ख़ूबसूरती ये है कि
इसमें कहीं भी युद्ध, सीमा, सेना जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं
है. अगर इसका आप केवल ऑडियो सुनेंगे तो ये आपको
यह अपनी धरती से दूर रह रहे लोगों के संस्मरण जैसा
लगेगा. अपनी धरती से जुड़ाव भी देशप्रेम ही है. इसका
वीडियो देशप्रेम से ओतप्रोत है.

९० के दशक में लिखा यह गीत काफी लोकप्रिय है. फिल्म
का नाम है बॉर्डर.  फिल्म का यह गीत गीत जावेद अख्तर
ने लिखा है. सोनू निगम और रूप कुमार राठौड के गाये इस
गीत का संगीत तैयार किया है अन्नू मलिक ने. फिल्म के
सभी प्रमुख कलाकार इस गीत में दिखलाई देते हैं.



गीत के बोल:

संदेसे आते हैं  हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है  वो पूछे जाती है
के घर कब आओगे  लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये घर सूना सूना है
संदेसे आते हैं  हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है  वो पूछे जाती है
के घर कब आओगे  लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये घर सूना सूना है

किसी दिलवाली ने  किसी मतवाली ने
हमें खत लिखा है  ये हमसे पूछा है
किसी की साँसों ने  किसी की धड़कन ने
किसी की चूड़ी ने  किसी के कंगन ने
किसी के कजरे ने  किसी के गजरे ने
महकती सुबहों ने  मचलती शामों ने
अकेली रातों में  अधूरी बातों ने
तरसती बाहों ने
और पूछा है तरसी निगाहों ने
के घर कब आओगे  के घर कब आओगे 
लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये दिल सूना सूना है

संदेसे आते हैं  हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है  वो पूछे जाती है
के घर कब आओगे  लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये घर सूना सूना है

मोहब्बतवालों ने  हमारे यारों ने
हमें ये लिखा है  कि हमसे पूछा है
हमारे गाँवों ने  आम की छांवों ने
पुराने पीपल ने  बरसते बादल ने
खेत खलियानों ने  हरे मैदानों ने
बसंती बेलों ने  झूमती बेलों ने
लचकते झूलों ने  दहकते फूलों ने
चटकती कलियों ने 
और पूछा है गाँव की गलियों ने
के घर कब आओगे  के घर कब आओगे 
लिखो कब आओगे
के तुम बिन गाँव सूना सूना है

संदेसे आते हैं  हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है  वो पूछे जाती है
के घर कब आओगे  लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये घर सूना सूना है

कभी एक ममता की  प्यार की गंगा की
जो चिट्ठी आती है  साथ वो लाती है
मेरे दिन बचपन के  खेल वो आंगन के
वो साया आंचल का  वो टीका काजल का
वो लोरी रातों में  वो नरमी हाथों में
वो चाहत आँखों में  वो चिंता बातों में
बिगड़ना ऊपर से  मोहब्बत अंदर से 
करे वो देवी माँ
यही हर खत में पूछे मेरी माँ
के घर कब आओगे  लिखो कब आओगे
के तुम बिन आँगन सूना सूना है

संदेसे आते हैं  हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है  वो पूछे जाती है
के घर कब आओगे  लिखो कब आओगे
के तुम बिन ये घर सूना सूना है

ऐ गुजरने वाली हवा बता
मेरा इतना काम करेगी क्या
मेरे गाँव जा  मेरे दोस्तों को सलाम दे
मेरे गाँव में है जो वो गली
जहाँ रहती है मेरी दिलरुबा
उसे मेरे प्यार का जाम दे
उसे मेरे प्यार का जाम दे
वहीँ थोड़ी दूर है घर मेरा
मेरे घर में है मेरी बूढ़ी माँ
मेरी माँ के पैरों को छू के तू 
उसे उसके बेटे का नाम दे
ऐ गुजरने वाली हवा ज़रा
मेरे दोस्तों  मेरी दिलरुबा
मेरी माँ को मेरा पयाम दे
उन्हें जा के तू ये पयाम दे

मैं वापस आऊंगा  मैं वापस आऊंगा 
घर अपने गाँव में
उसी की छांव में  के माँ के आँचल से
गाँव की पीपल से  किसी के काजल से
किया जो वादा था वो निभाऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा मैं एक दिन आऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा मैं एक दिन आऊंगा
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Sandese aate hain-Border 1998

Artists: Kulbhooshan Kharbanda, Akshay Khanna, Sunil Shetty, Sunny Deol, Puneet Issar, Various

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