जब शाम का सूरज ढलता है-गैर फ़िल्मी गीत
सुनेंगे आज.
इसके गीतकार हैं कँवर कुमार और गीत का संगीत
खुद गायक ने तैयार किया है.
गीत के बोल:
जब शाम का सूरज ढलता है
छुप छुप के चाँद के साये में
कोई मुझे पुकारा करता है
जब शाम का सूरज ढलता है
छुप छुप के चाँद के साये में
कोई मुझे पुकारा करता है
जब शाम का सूरज ढलता है
जब होश में तारे आते हैं
बेख़ुद रात हो जाती है
जब होश में तारे आते हैं
जब होश में तारे आते हैं
बेख़ुद रात हो जाती है
मेरे कानों में धीरे धीरे
आवाज़ किसी की आती है
जब शाम का सूरज ढलता है
छुप छुप के चाँद के साये में
कोई मुझे पुकारा करता है
जब शाम का सूरज ढलता है
कहीं आँख ज़रा सी लग जाये
सपनों की रानी आती है
कहीं आँख ज़रा सी लग जाये
सपनों की रानी आती है
मैं उससे आँख चुराऊँ वो
उल्फ़त के साज़ बजाती है
जब शाम का सूरज ढलता है
छुप छुप के चाँद के साये में
कोई मुझे पुकारा करता है
जब शाम का सूरज ढलता है
……………………………………….
Jab shaam ka suraj dhalta hai-Non film song
0 comments:
Post a Comment