Sep 20, 2017

ये समा ये रुत ये नज़ारे-दो कलियाँ १९६८

मीठा माने क्या-शक्कर, गुड, रसगुल्ला, गुलाब जामुन या
फलों की मिठास. वैसे ही गीतों का हाल है. कोई स्टीविया
की तरह तो कोई सेकरीन की तरह भी मीठा मिलेगा आपको.

मिठास ज़रूर होती है, भले ही कम ज्यादा हो. लता रफ़ी का
एक युगल गीत सुनते हैं जो सुना हुआ है.

दो कलियाँ फिल्म के लिए इसे साहिर लुधियानवी ने लिखा
और रवि ने संगीतबद्ध किया. परदे पर कलाकारों को आप
पहचान जायेंगे, ना पहचान पायें तो पोस्ट के टैग वगैरह
देख लीजियेगा.



गीत के बोल:

ये समा ये रुत ये नज़ारे
दिल मेरा मचलने लगा
जाने वफ़ा ऐ दिलरुबा
ऐसे में आ मेरी बाहों में आ
रोक ले निगाहों के इशारे
तन मेरा पिघलने लगा
मैं हूँ तेरी तू है मेरा
आ मेरे दिल की पनाहों में आ

शाने पे मेरे गिरा दे ज़ुल्फ़ें
आँखों पे मेरी बिछा दे ज़ुल्फ़ें
शाने पे मेरे गिरा दे ज़ुल्फ़ें
आँखों पे मेरी बिछा दे ज़ुल्फ़ें
ऐसा जगा दे प्यार का जादू
सारे जहाँ पे छाये नशा

रोक ले निगाहों के इशारे
तन मेरा पिघलने लगा
मैं हूँ तेरी तू है मेरा
आ मेरे दिल की पनाहों में आ
ये समा ये रुत ये नज़ारे
दिल मेरा मचलने लगा
जाने वफ़ा ऐ दिलरुबा
ऐसे में आ मेरी बाहों में आ

आँखों ने आँखों की पढ़ ली जुबां
मेरे भी दिल में उमंगें हैं जवां
आँखों ने आँखों की पढ़ ली जुबां
मेरे भी दिल में उमंगें हैं जवां
शौक से बढ़ कर थाम ले बाजू
जान गयी तेरे दिल में है क्या

ये समा ये रुत ये नज़ारे
दिल मेरा मचलने लगा
जाने वफ़ा ऐ दिलरुबा
ऐसे में आ मेरी बाहों में आ
रोक ले निगाहों के इशारे
तन मेरा पिघलने लगा
मैं हूँ तेरी तू है मेरा
आ मेरे दिल की पनाहों में आ
………………………………………………………………………..
Ye sama ye rut-Do Kaliyan 1968

Artists: Mala Sinha, Biswajeet

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP