क्या कभी सवेरा....अनकही-लुटेरा २०१३
मगर गीतकार भी आपको गाते सुनाई दे जायेंगे. ऐसा एक
गीत है सन २०१३ की फिल्म लुटेरा से अमिताभ भट्टाचार्य
का गाया हुआ. गीत का संगीत तैयार किया है अमित त्रिवेदी
ने.
धम धमा धम गीतों की तुलना में ये थोडा सोफ्ट है. गीत में
पेशगी शब्द का खूबसूरत इस्तेमाल है.
गीत के बोल:
क्या कभी सवेरा
लाता है अँधेरा
सूखी सियाही देती है गवाही
सदियों पुरानी ऐसी इक कहानी
रह गयी रह गयी
अनकही अनकही
क्या कभी सवेरा
लाता है अँधेरा
सूखी सियाही देती है गवाही
सदियों पुरानी ऐसी इक कहानी
रह गयी रह गयी
अनकही अनकही
क्या कभी बहार भी पेशगी लाती है
आने वाले पतझड़ की
बारिशें नाराज़गी भी जता जाती है
कभी कभी अम्बर की
पत्तें जो शाखों से टूटे
बेवजह तो नहीं रूठे हैं सभी
ख्वाबों का झरोंखा सच था या धोखा
माथा सहला के निंदिया चुराई
सदियों पुरानी ऐसी इक कहानी
रह गयी रह गयी
अनकही अनकही
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Kyakabhi savera….ankahi-Lutera 2013
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