नसीब होगा मेरा मेहरबाँ-फोर्टी डेज़ १९५९
भूल के गाना गाने लगती है और नल खुला रह जाता है.
नायक को ढूंढ रही है अपनी सुध बुध खो के.
पेटी और तबला वाले गीत दुर्लभ है फिल्मों में. एक तो
मुझे याद है सत्तर के दशक वाला-दीवाने हैं दीवानों को
न घर चाहिए.
कैफी आज़मी की रचना है और मधुर संगीत टायर किया
है बाबुल ने. गीत में मन्ना डे के साथ एक जनाना आवाज़
है वो किसकी है क्या ज्ञानी संगीत प्रेमी प्रकाश डालेंगे.
या तो आशा भोंसले की ही आवाज़ है या कोई और, स्पष्ट
नहीं हो पाता.
गीत के बोल:
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
नसीब होगा मेरा मेहरबाँ कभी न कभी
हाय कभी न कभी
मिलेगा उसके क़दम का निशाँ कभी न कभी
हाय कभी न कभी
नसीब होगा मेरा मेहरबाँ कभी न कभी
हाय कभी न कभी
रहा जो छुप के जवाँ दिल में आरज़ू की तरह
रहा जो छुप के जवाँ दिल में आरज़ू की तरह
चला गया जो ग़रीबों की आबरू की तरह
हो चला गया जो ग़रीबों की आबरू की तरह
नज़र तो आयेगा वो मेहमाँ कभी न कभी
नसीब होगा मेरा मेहरबाँ कभी न कभी
हाय कभी न कभी
मिलेगा उसके क़दम का निशाँ कभी न कभी
हाय कभी न कभी
हर इक सितम का वफ़ायें जवाब माँगेंगी
हर इक सितम का वफ़ायें जवाब माँगेंगी
हर एक बूँद का आँखें हिसाब माँगेंगी
हो हर एक बूँद का आँखें हिसाब माँगेंगी
लहू पुकारेगा बन के ज़बां कभी न कभी
नसीब होगा मेरा मेहरबाँ कभी न कभी
हाय कभी न कभी
मिलेगा उसके क़दम का निशाँ कभी न कभी
हाय कभी न कभी
हा आ आ आ हा आ आ आ हा आ आ आ
लुटी लुटी सी तमन्ना जो हाथ उठायेगी
लुटी लुटी सी तमन्ना जो हाथ उठायेगी
चमकते चाँद सितारों को तोड़ लायेगी
हो चमकते चाँद सितारों को तोड़ लायेगी
गले मिलेंगे ज़मीं आसमान कभी न कभी
नसीब होगा मेरा मेहरबाँ कभी न कभी
हाय कभी न कभी
मिलेगा उसके क़दम का निशाँ कभी न कभी
हाय कभी न कभी
नसीब होगा मेरा मेहरबाँ कभी न कभी
हाय कभी न कभी
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Naseeb hoga mere meherban-40 Days 1959
Artists: Premnath, Shakila, Nishi
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