ताजमहल के द्वार मिलो-गैर फ़िल्मी गीत
हैं. एक और सुनते हैं ताजमहल के जिक्र वाला.
ताजमहल जबसे बना है तबसे प्रेमियों, कवियों और गीतकारों
को आकर्षित करता आया है. इसे पता नहीं किसने लिखा है.
इन ‘पता नहीं किसने’ साहब के कई गीत हम आपको सुनवा
चुके हैं इधर.
गीत के बोल:
एक बार मिलो एक बार मिलो
एक बार मिलो
ताजमहल के द्वार मिलो तुम
आ कर एक बार कभी
जीवन भर में भूले से भी
मुझसे किया जो प्यार कभी
ताजमहल के द्वार मिलो तुम
आ कर एक बार कभी
संगमरमर की गोद में जलता
प्रीत का दीप पुकारे
प्रीत का दीप पुकारे
अब तो आ जाओ प्यार के राही
जमुना नदी किनारे
टूटे मन के मिल जाते हैं
आ के यहाँ पे कार कभी
ताजमहल के द्वार हिलो तुम
आ कर एक बार कभी
बड़े बावरे दुनिया वाले
समझ न पाए मन को
समझ न पाए मन को
चुपके चुपके लहरें कहती
तारों भरे गगन को
जन्म मरण का एक सा बंधन
तोड़ सका संसार कभी
ताजमहल के द्वार मिलो तुम
आ कर एक बार कभी
जीवन भर में भूले से भी
मुझसे किया जो प्यार कभी
एक बार मिलो एक बार मिलो
एक बार मिलो
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Tajmahal ke dwar milo-Hemant Kumar Non film song
3 comments:
Can somebody kindly provide the details of this song, as to its covenance, name of the lyricist, name of the composer and the recording company which released this record, and if it was a Studio Record of the AIR?
Please also see this:
https://youtu.be/HHghfQgjyp4
हम भी खोज में हैं. जैसे ही कोई जानकारी मिलेगी आपको
सूचित करेंगे.
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