Nov 7, 2017

कब मेरा नशेमन-हबीब वली मोहम्मद

गैर फ़िल्मी गीत सुनते हैं एक हबीब वली मोहम्मद की
बुलंद आवाज़ में. हबीब वली का एक गीत आप पहले भी
सुन चुके हैं इधर.

कमर जलालवी की ग़ज़ल है जिसकी धुन शायद हबीब वली
ने स्वयं तैयार की है.





गीत के बोल:

कब मेरा नशेमन अहले चमन गुलशन में गवारा करते हैं
कब मेरा नशेमन अहले चमन
कब मेरा नशेमन अहले चमन गुलशन में गवारा करते हैं
कब मेरा नशेमन अहले चमन गुलशन में गवारा करते हैं
गुँचे अपनी आवाज़ों में बिजली को पुकारा करते हैं
बिजली को पुकारा करते हैं
कब मेरा नशेमन अहले चमन गुलशन में गँवारा करते हैं
कब मेरा नशेमन अहले चमन

पोंछो न अरक़ रुखसारों से रंगीनी-ए-हुस्न को बढ़ने दो
सुनते हैं के शबनम के क़तरे फूलों को निखारा करते हैं

जाती हुई मय्यत देख के भी अल्लाह तुम उठ कर आ न सके
दो चार क़दम तो दुश्मन भी तकलीफ़ गवारा करते हैं

अब नज़ा का आलम है मुझ पर तुम अपनी मुहब्बत वापस लो
जब कश्ती डूबने लगती है तो बोझ उतारा करते हैं

तारों की बहारों में भी ‘कमर’ तुम अफ़्सुर्दा से रहते हो
फूलों को तो देखो काँटों में हंस हंस के गुज़ारा करते हैं
.......................................................................
Kab mera nasheman-Non film song

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP